लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि विधायी प्रारूपण विधि का आधार है। विधि निर्माण में स्पष्टता और सरलता पर जोर देते हुए ओम बिरला ने कहा कि चूंकि कानून लंबे समय तक समाज और लोगों को प्रभावित करते हैं, इसलिए कानून स्पष्ट और सरल होने चाहिए ताकि आम लोग उन्हें समझ सकें । इससे न्यायालयों में वादों की संख्या में कमी आएगी ; साथ ही संसाधनों की भी बचत होगी।
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ओम बिरला ने यह भी कहा कि विश्व में तेजी से हो रहे सामाजिक-आर्थिक बदलाव को देखते हुए, विधि निर्माताओं और अधिकारियों के लिए विधायी प्रारूपण से सुपरिचित होना बहुत आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों की आवश्यकताएं पूरी हों । इससे सदन में भी अर्थपूर्ण बहस को बढ़ावा मिलेगा।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज संसद भवन में संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (PRIDE) द्वारा आयोजित 36वें अंतर्राष्ट्रीय विधायी प्रारूपण प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान 13 देशों के कुल 28 प्रतिभागियों के साथ बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की। प्रतिभागियों ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में अपनायी जा रही विधायी प्रक्रियाओं और में simultaneous interpretation में प्रयोग की जा रही तकनीक की प्रशंसा की।
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की भूमिका के बारे में बात करते हुए,ओम बिरला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि PRIDE पूरी दुनिया के विधानमंडलों को प्रशिक्षण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि अच्छा विधायी प्रारूपण ही प्रभावी कानून का आधार है । इसलिए ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम सभी प्रतिभागियों के लिए बहुत उपयोगी हैं।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 26 मार्च से 22 अप्रैल, 2025 तक आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम ITEC (भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग) योजना के भाग के रूप में विदेश मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
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इस कार्यक्रम के दौरान, प्रतिभागियों को भारत के संविधान, विधायी प्रक्रिया, संसदीय विशेषाधिकार, प्रशासनिक विधि, उपभोक्ता संरक्षण और नए आपराधिक कानूनों के बारे में जानकारी प्रदान की गई। प्रतिभागियों को विधि एवं न्याय मंत्रालय और राज्य विधानमंडलों के साथ भी सम्बद्ध किया जाएगा ।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत, प्रतिभागियों ने लोक सभा और राज्य सभा की कार्यवाही भी देखी । वे दिल्ली न्यायिक अकादमी और अन्य दर्शनीय स्थलों का दौरा भी करेंगे।