PM Modi Speech Red Fort- विपक्षी दलों ने स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को ‘तोड़-मरोड़कर, झूठ, अतिशयोक्ति और अस्पष्ट वादों’ से भरा चुनावी भाषण बताकर खारिज कर दिया। कुछ लोगों ने इसे लाल किले की प्राचीर से उनका ‘विदाई’ संबोधन भी बताया।
सौरभ भारद्वाज, मंत्री, दिल्ली: “जिस तरीके से स्पीच प्रधानमंत्री जी की थी, वो उनकी फेयरवेल स्पीच थी। कोशिश की गई कि वे अपने 10 साल के काम गिनाएं, वैसे गिनाने लायक काम कोई थे नहीं। देश में गरीबी बढ़ी है, बेरोजगारी बढ़ी है, देश में जहां शांति हुआ करती थी, वहां अब हर शहर में तनाव है। भाई-भाई आपस में लड़ रहे हैं, देश के हालात अच्छे नहीं हैं।” ))
पी. सरवनन, प्रवक्ता, डीएमके: “ये बहुत बड़ी निराशा है। हमने सोचा था कि प्रधानमंत्री का भाषण अगले एक साल के लिए रोडमैप देगा और प्रेरणादायक होगा लेकिन ये एक बड़ी निराशा थी। ये पिछले भाषणों की तरह है जहां उन्होंने विपक्ष पर हमला करने की कोशिश की थी। कांग्रेस पार्टी और नेहरू-गांधी परिवार के प्रति उनकी सनक भाषण में देखी जा सकती है।”
मनोज झा, सांसद, आरजेडी: “प्रधानमंत्री जी को कम से कम मणिपुर को लेकर लाल किले की प्राचीर से एक ईमानदार पहल की जो पुष्टि करनी चाहिए थी, उसमें मुझे कमी दिखी। बहरहाल, वो ज्यादा सोच रहे होंगे, कम बोल रहे हैं। ये महत्वपूर्ण है कि इतने दिनों तक, प्रधानमंत्री जी ये चार मई को आया होता और एक सख्त संदेश गया होता तो शायद परिस्थितियां इतनी खराब न हुई होतीं। अगर आपने संसद भी छोड़कर 15 अगस्त का इंतजार किया और इस इंतजार के बाद जो लोगों को मिला, इट इज टू लिटिल, इट इज टू लेट।”
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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि पीएम मोदी को ‘परिवारवाद’ की बात करते हुए सबसे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर एक नजर डालनी चाहिए। उन्होंने सीएम योगी को राज्य में ‘परिवारवाद’ का पहला उदाहरण बताया।
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