Pollution: प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है AQI लगभग 400 है। दिल्लीवासियों के साथ-साथ पड़ोसी राज्य भी प्रदूषण की मार झेल रहे हैं। इसका असर हर उम्र के व्यक्ति पर पड़ता है। प्रदूषण सबसे पहला असर हमारे फेफड़ों और श्वसन प्रणाली पर ड़ालता है। जिसकी वजह से हमें सांस लेने से संबंधित समस्याएं होती है। इसी के साथ प्रदूषण की वजह से हमारे दिल और दिमाग पर भी असर पड़ता है। इसके कारण समय से पहले मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है।
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WHO ने अनुमान लगाया है कि वायु प्रदूषण (Pollution) के कारण हर साल 7 मिलियन यानि 70 लाख लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। वहीं हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट का कहना है कि साल 2021 में वायु प्रदूषण के कारण 8.1 मिलियन लोगों की मौत हुई है। एक अध्ययन में चेताया गया था कि यदि प्रदूषण रोधी कोई उपाय नहीं किए तो 2050 तक हर साल 66 लाख लोग अपनी जान से समय से पहले हाथ धो बैठेंगे।
लैंसेट का अध्ययन क्या था ?
दिल्ली, अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी जैसे दस शहरों में एक अध्ययन किया गया। जिसमें पाया गया कि हर साल भारत में करीब 33 हजार मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती है। CPCB ने कहा था कि अलग-अलग राज्यों और शहरों में मृत्यु के पंजीकरण की प्रणाली अलग-अलग तरह से काम करती है इसलिए आंकड़ों में अंतर हो सकता है। साथ ही यह भी कहा था कि मौतों को वायु प्रदूषण से जोड़ना सही नहीं है। इस बात को लेकर इस अध्ययन पर विवाद भी हुआ था।
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वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
वायु प्रदूषण सबसे पहले हमारे फेफड़ों पर असर डालता है जिसके कारण हमें सांस लेने में दिक्कत भी होती है। सांस की बीमारियां जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस वाले मरीजों के लिए ये बेहद घातक हो सकता है। इसके साथ यह हृदय रोगी को भी काफी नुकसान पहुंचा सकता है। एक रिसर्च में पाया गया कि इससे कैंसर होने का खतरा बना रहता है।