(प्रदीप कुमार); शिक्षक दिवस’ के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में देश भर के 45 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने का उद्देश्य देश के बेहतरीन शिक्षकों के योगदान का जश्न मनाना है। राष्ट्रपति मुर्मू ने शिक्षकों से छात्रों में प्रश्न पूछने और संदेह व्यक्त करने की आदत को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया।
शिक्षक दिवस के अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने अपने शिक्षकों को याद किया और कहा कि उन्होंने न केवल उन्हें पढ़ाया बल्कि उन्हें प्यार और प्रेरणा भी दी। अपने परिवार और शिक्षकों के मार्गदर्शन के बल पर, वह कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनीं। राष्ट्रपति कहा कि उन्होंने जीवन में जो कुछ भी हासिल किया है, उसके लिए वह हमेशा अपने शिक्षकों की ऋणी महसूस करती हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार आज की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में विकास का आधार हैं। स्कूली शिक्षा के माध्यम से इन क्षेत्रों में भारत की स्थिति को और मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनके विचार से विज्ञान, साहित्य या सामाजिक विज्ञान में मौलिक प्रतिभा का विकास मातृभाषा के माध्यम से अधिक प्रभावी हो सकता है। यह हमारी माताएं हैं, जो हमें हमारे प्रारंभिक जीवन में जीने की कला सिखाती हैं। इसलिए मातृभाषा प्राकृतिक प्रतिभा के विकास में सहायक होती है।
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राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि शिक्षक ही हमारी शिक्षा-प्रणाली की प्राण-शक्ति हैं। ऐसे में शिक्षकों की महता भारत जैसे बड़े देश में काफी अहम हो जाती है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत की स्कूली शिक्षा-व्यवस्था, विश्व की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में शामिल है। 15 लाख से अधिक स्कूलों में, लगभग 97 लाख शिक्षकों द्वारा 26 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान की जा रही है। इसीलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के लिए भारतीय भाषाओं के प्रयोग पर जोर दिया गया है।
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