Radha Ashtami: हर साल राधा अष्टमी को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा गया है कि अनुराधा नक्षत्र में सोमवार के दिन राधा रानी का जन्म हुआ था। राधा अष्टमी हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद मनाई जाती है। इस साल राधा अष्टमी का महत्व और भी अधिक है क्योंकि इस बार ग्रहों का बहुत ही मंगलकारी संयोग बना हुआ है।
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जैसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का कृष्ण भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है ठीक उसी तरह राधा अष्टमी पर भी भक्त बहुत धूम मचाते हैं। राधा अष्टमी के आने से पहले ही बरसाना और वृंदावन की गलियों में धूम मच जाती हैं। राधा अष्टमी के दिन भक्त दूर दूर से देवी राधा के दर्शन करने आते हैं। इस दिन भक्तों में आनंद और उत्साह रहता है।
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इसी दिन होते हैं श्री चरणों के दर्शन- बरसाना के ब्रह्मांचल पर्वत पर राधा रानी का मंदिर है जहां पर राधा रानी लाडली सरकार के रूप में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि केवल राधा अष्टमी के दिन ही राधा रानी के श्री चरणों के दर्शन प्राप्त होतें है। साल के बाकी दिन राधा रानी के चरण ढके रहते हैं इसलिए भक्त राधा अष्टमी के दिन दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं और लाडली जी का आशीर्वाद पाते हैं।
क्या है राधा अष्टमी का महत्व?
राधा अष्टमी देश के हर कोने में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है। राधा रानी को श्री लक्ष्मी जी का अवतार और भगवान श्री कृष्ण की प्रिय माना जाता है। राधा अष्टमी के दिन जो भी भक्त देवी राधा की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करता है वह अपने जीवन में सभी सुखों को प्राप्त करता है। इस दिन भक्त अपने घर में पूजा के स्थान को सजाते हैं और राधा रानी को नए वस्त्र पहना कर उनकी पूजा करते हैं। इस दिन जो भी व्यक्ति मन से राधा रानी का ध्यान लगाता है और उनकी पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
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