Railway Development: केंद्रीय रेल, सूचना और प्रसारण एवं इलेक्ट्रोनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि हाल ही में, उदयपुर-डूंगरपुर-हिम्मतनगर खंड का आमान परिवर्तन पूरा किया गया है। Railway Development
आमान परिवर्तन के बाद, डूंगरपुर को कोटा, इंदौर, उदयपुर, अहमदाबाद, जयपुर आदि जैसे महत्वपूर्ण शहरों से जोड़ने वाली 5 जोड़ी रेलगाड़ियां शुरू की गई हैं।रेलमंत्री ने बताया कि संपर्कता को बढ़ाने के लिए मौजूदा रेलगाड़ी सेवाओं का विस्तार सहित नई रेलगाड़ी सेवाओं की शुरुआत करना, भारतीय रेल में किसी मार्ग/खंड पर परिचालनिक व्यवहार्यता के अध्यधीन, एक सतत प्रक्रिया है। Railway Development
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यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें शामिल हैं- रेलखंड की क्षमता, पथ की उपलब्धता, अपेक्षित चल स्टॉक की उपलब्धता, चल स्टॉक के लिए एकसमान अवसंरचना की उपलब्धता, रेलपथ और अन्य परिसंपत्तियों की अनुरक्षण आवश्यकता।
केंद्रीय रेलमंत्री ने बताया कि रतलाम-बांसवाड़ा-डूँगरपुर (188 कि.मी.) नई लाइन परियोजना को 2083 करोड़ रुपए की लागत पर स्वीकृत किया गया था, जिसमें राजस्थान सरकार और रेल मंत्रालय के बीच 50:50 लागत साझा की जाएगी। इस परियोजना के लिए भूमि राजस्थान राज्य सरकार द्वारा स्वयं की लागत पर उपलब्ध कराई जाएगी। अब तक कुल अपेक्षित 1,736 हेक्टेयर भूमि में से 646 हेक्टेयर भूमि अधिगृहीत की जा चुकी है। रेलवे द्वारा संबंधित राज्य/ज़िला प्राधिकारियों के माध्यम से भूमि अधिग्रहण किया जाता है। भूमि अधिग्रहण से संबंधित सभी कार्यकलापों, जैसे भू-स्वामियों को मुआवज़े की राशि का आकलन व मुआवज़े का संवितरण आदि राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। Railway Development
उन्होने बताया कि भूमि अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार के राजस्व विभाग द्वारा अंतिम भू-स्वामियों को रेलवे से मुआवज़े की माँग करने के पश्चात मुआवजा प्रदान किया जाता है। यह प्रक्रिया भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 के उपबंधों का पालन करते हुए, राज्य सरकारों के समन्वय से की जाती है।
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केंद्रीय रेल मंत्री ने बताया कि बांसवाड़ा और आसपास के क्षेत्र को मुंबई और दिल्ली से जोड़ने के लिए, नीमच बांसवाड़ा दाहोद-अलीराजपुर-नंदु
इसके अलावा, मंदसौर-प्रतापगढ़-घटोल-बांसवाड़ा
परियोजना:-
1.रतलाम-नागदा तीसरी और चौथी लाइन -लंबाई 41 किलोमीटर , लागत- 964 करोड़ रुपए
2.रतलाम-वडोदरा तीसरी और चौथी लाइन ,लंबाई 259 किलोमीटर ,लागत -8387 करोड़ रुपए
चंदेरिया (चित्तौड़गढ़) – डूंगरपुर – हिम्मतनगर (326 किलोमीटर) के दोहरीकरण से संबंधित व्यवहार्यता सर्वेक्षण को भी स्वीकृति दे दी गई है।
इसके अलावा, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार होने के बाद, परियोजना को स्वीकृति देने के लिए राज्य सरकारों समेत विभिन्न हितधारकों से परामर्श करना और आवश्यक अनुमोदन जैसे नीति आयोग, वित्त मंत्रालय का मूल्यांकन आदि अपेक्षित होते हैं। चूंकि परियोजना को स्वीकृति देना एक निरंतर चलने वाली और सतत प्रक्रिया है, इसलिए सटीक समय-सीमा विभिन्न हितधारकों द्वारा मूल्यांकन व अनुमोदन पर निर्भर करती है। Railway Development
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