Rajasthan Jail Rules: उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को राजस्थान सरकार से कहा कि वह जयपुर में खुली जेल की लेआउट योजना में अब कोई बदलाव न करे। उसने कहा कि इस योजना का उद्देश्य कैदियों को समाज की मुख्यधारा में लाना है।प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जयपुर में 17,800 वर्ग मीटर के भूखंड पर खुली जेल के निर्माण के लिए प्रस्तावित लेआउट योजना में छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था।
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शीर्ष अदालत देश की पारंपरिक जेलों में भीड़भाड़ और अमानवीय स्थितियों के समाधान के लिए खुली जेलें स्थापित करने की संभावना तलाशने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।खुली जेल की अवधारणा के तहत दोषियों को आजीविका कमाने के लिए दिन में परिसर के बाहर काम करने और शाम को वापस लौटने की अनुमति होती है। इस अवधारणा को दोषियों को समाज के साथ घुलने-मिलने और मनोवैज्ञानिक दबाव को कम करने के लिए पेश किया गया था क्योंकि उन्हें (जेल से) बाहर सामान्य जीवन जीने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
पीठ ने आदेश दिया, ‘‘मुख्य उद्देश्य उन्हें (कैदियों को) समाज की मुख्यधारा में लाना है। हम राज्य सरकार को निर्देश देते हैं कि वह एक हलफनामा दाखिल करे कि स्वीकृत लेआउट योजना में आगे कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। याचिका पर विचार करते हुए पीठ ने कहा कि जयपुर में प्रस्तावित खुली जेल और उससे सटे अस्पताल के बीच 34 मीटर से अधिक चौड़ी सड़क है।पीठ ने कहा, ‘‘हमें मौजूदा अवमानना याचिका में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता। अपने पिछले आदेश के तहत हमने इस न्यायालय के रजिस्ट्रार को साइट का निरीक्षण करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। इस न्यायालय के न्यायाधीशों ने परिसर का भौतिक निरीक्षण किया है।
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रिपोर्ट से पता चलता है कि अस्पताल की स्थापना और खुली जेल के आधुनिकीकरण का राज्य का प्रस्ताव व्यवहार्य है।’’ अवमानना याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि अगर परियोजना पूरी हो जाती है तो कैदियों को बेहतर आवास और मनोरंजन के लिए जगह मिलेगी। हालांकि, पीठ ने कहा कि खुली जेल के परिसर में खुले क्षेत्र का उपयोग उन रोगियों और उनके रिश्तेदारों द्वारा नहीं किया जा सकता है जो प्रस्तावित अस्पताल के निर्माण और इसके शुरू होने के बाद वहां आएंगे।