Rajya Sabha: राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश ने गुरुवार 19 दिसंबर को विपक्ष का वो नोटिस खारिज कर दिया जिसमें पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च सदन के संचालन का आरोप लगाते हुए सभापति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने की मांग की गई थी। सूत्रों ने ये जानकारी दी। उनके मुताबिक, हरिवंश ने ये कहते हुए विपक्ष का नोटिस खारिज कर दिया कि ये तथ्यों से परे है और इसका मकसद केवल प्रचार हासिल करना है।
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सूत्रों के मुताबिक, उप-सभापति ने कहा कि धनखड़ के खिलाफ नोटिस अनुचित और त्रुटिपूर्ण है, जिसे उप-राष्ट्रपति की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए जल्दबाजी में तैयार किया गया है। राज्यसभा के महासचिव पी. सी. मोदी को सौंपे अपने फैसले में हरिवंश ने कहा कि नोटिस देश की संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा कम करने और मौजूदा उप-राष्ट्रपति की छवि खराब करने की साजिश का हिस्सा है। उल्लेखनीय है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’(इंडिया) के घटक दलों ने सभापति धनखड़ को उप-राष्ट्रपति पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने संबंधी नोटिस 10 दिसंबर को राज्यसभा के महासचिव को सौंपा था।
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विपक्ष ने कहा था कि धनखड़ ने ‘अत्यंत पक्षपातपूर्ण’ तरीके से राज्यसभा की कार्रवाई संचालित करने के कारण ये कदम उठाना पड़ा है। नोटिस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, डीएमके, समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों के 60 नेताओं ने हस्ताक्षर किए थे। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, डीएमके नेता तिरुचि शिवा और तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने इस नोटिस पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय, राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता प्रमोद तिवारी, मुख्य सचेतक जयराम रमेश, वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला समेत कई दूसरे सीनियर सदस्यों ने धनखड़ के खिलाफ दिए गए नोटिस पर हस्ताक्षर किए थे।