Rakshabandhan 2023:-जाने रक्षा बंधन 2023 का शुभ मुहूर्त , पहली बार कब मना यह त्योहार…

(आकाश शर्मा)- Rakshabandhan 2023 Date- रक्षा बंधन यानि रक्षा के सूत्र में खुद को बांधना। इस दिन बहनें अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है, भाई भी अपनी बहन को रक्षा का वचन देते है। रक्षा बंधन को राखी या सावन के महीने में पड़ने के वजह से श्रावणी व सलोनी भी कहा जाता है। यह श्रावण माह के पूर्णिमा में पड़ने वाला हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। श्रावणी पूर्णिमा में, रेशम के धागे से बहन द्वारा भाई के कलाई पर बंधन बांधे जाने की रीत को रक्षा बंधन कहते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 30 अथवा 31 अगस्त के दिन रक्षाबंधन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। बता दें कि यह पर्व श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है।

रक्षाबंधन 2023 तिथि
हिन्दू पंचांग के अनुसार, श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त सुबह 10 बजकर 58 मिनट से प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर जाएगा।

रक्षा बंधन का इतिहास
एक पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि प्राचीन समय में एक बार जब दैत्यों के राजा बलि ने देवताओं पर आक्रमण किया था तब इसे देख देव इंद्र की पत्नी सची काफी परेशान हो गईं थीं। राजा बलि द्वारा देवगणों को परेशान करता देख और इस युद्ध में देवताओं की विजय के लिए सची ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। इसके बाद भगवान विष्णु ने सची को एक धागा देकर कहा कि इसे अपने पति इन्द्र की कलाई पर बांध देना जिससे वह जीत जाएंगे। सची ने विष्णु जी के कहे अनुसार इन्द्र देव की कलाई पर वो धागा बांध दिया और उस युद्ध में उन्होंने राजा बलि को पराजित कर दिया। तभी से मान्यता है कि बहनें अपने भाई की और पत्नियां अपने पति को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी लंबी उम्र और विजय की कामना करती है।

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एक अन्य कथा के अनुसार, अपनी बुआ के पुत्र शिशुपाल के 100 अपराध पूरे होने के बाद जब श्री कृष्ण उसे मारने के लिए शिशुपाल के साथ युद्ध कर रहे थे तो उस दौरान श्री कृष्ण की तर्जनी उंगली कट जाने के कारण उससे खून बहने लगा। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी के पल्लू का टुकड़ा फाड़कर भगवान कृष्ण के हाथ पर बांध दिया था। उस समय ही श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा करने का वचन दिया। इसके बाद श्री कृष्ण ने अपने इसी वचन के तहत राजा धृतराष्ट्र के दरबार में द्रौपदी के चीरहरण के समय उसके सम्मान की रक्षा की थी। मान्यता है कि तब से यह त्योहार मनाया जा रहा है।

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