Same Sex Marriage Verdict:-समलैंगिक विवाह और गोद लेने को कानूनी मान्यता न देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विश्व हिंदू परिषद ने स्वागत किया है। वीएचपी के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही था। अयोध्या में संतों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि समलैंगिक विवाह समाज के सभी सिद्धांतों के खिलाफ है।
आलोक कुमार, वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष: “हमको इस बात का बहुत संतोष है कि सु्प्रीम कोर्ट ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि दो लड़कों का आपस में रहना या दो लड़कियों का आपस में रहना ये विवाह नहीं हो सकता। विवाह की मान्यता मौलिक अधिकार नहीं है और इसलिए उन्होेंने इस विवाह को रजिस्टर करने की मांग को अस्वीकार किया है। ये भी मांग की गई थी कि इस तरह के जोड़ों को बच्चों को गोद लेने का अधिकार दिया जाए।
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ये जो एडॉप्शन लेने का अधिकार मांगा था हमें चिंता थी कि यदि दो लड़के गोद लेते तो मां नहीं होती और दो लड़कियां गोद लेती तो पिता नहीं होता और ये समाज व्यवस्था के विपरीत होता। चाहे बहुमत से ही हुआ हो हमें बहुत संतोष है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया है।”
जगतगुरु परमहंस आचार्य: “यह बहुत अच्छा है समलैंगिक विवाह अप्राकृतिक दुष्कर्म को बढ़ावा देने वाला था, माननीय सर्वोच्च न्यायालय का जो जजमेंट है वो बहुत ही अच्छा है और अयोध्या से मैं तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगतगुरु परमहंस आचार्य मैं गदगद हूं और धन्यवाद देता हूं माननीय न्यायालय को, ये न्याय संगत है और ये सबके हित में है क्योंक जब लड़की-लड़की से विवाह करेगी और लड़का-लड़का से विवाह करेगा तो इससे दुष्कर्म को बढ़ावा मिलेगा और अपराध बढ़ेगा और जो सामाजिक की एक व्यवस्था है वो बिगड़ जाएगी।”
(Source- PTI)