Maternal Mortality in India: भारत में पिछले कुछ सालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवा होने के कारण प्रेगनेंसी, डिलीवरी या उसके कुछ ही दिनों बाद महिलाओं की मौतों के मामलों में 40% की कमी आई है। यह भारत के लिए एक अच्छी खबर है। आपको बता दें कि साल 2023 में 2.60 लाख महिलाओं की प्रेगनेंसी और डिलीवरी के दौरान जटिलताओं की वजह से जान चली गई, जोकि करीब हर दो मिनट में एक मातृत्व मौत है।
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भारत में बढ़ा मातृ मृत्यु दर का आंकड़ा – यूनाइटेड नेशन ने भारत में मातृ मृत्यु पर चौकाने वाला खुलासा किया और बताया भारत में प्रत्येक दिन 52 मातृ मौतें हो रही है । जो नाइजीरिया के बाद दुनिया में सबसे अधिक है। साल 2023 में भारत में 19,000 प्रेग्नेंट महिलाओं की मौत हुई, जो पूरी दुनिया का 7.2% है।हाल में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह सनसनीखेज खुलासा किया कि मानवीय सहायता में की गई कटौती से कई देशों में स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो रही है। इनमें अस्पतालों का बंद होना, स्वास्थ्य कर्मियों की कमी, तथा आपूर्ति श्रृंखला संबंधी समस्याएं शामिल हैं, जिसमे जीवनरक्षक दवाओं की कमी भी शामिल है।
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UNFPA ने जारी की रिपोर्ट – संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य मामलों के लिए यूएन एजेंसी (UNFPA) ने 7 अप्रैल को ‘Trends in Maternal Mortality’ नाम की रिपोर्ट जारी की है। जिसमें ये दावा किया गया साल 2000 से 2023 तक प्रेगनेंसी या डिलीवरी के दौरान या उसके 42 दिनों के अंदर मौत होने के मामलों में 40 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई ।
समाधान मौजूद हैं- रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि मातृ मृत्यु दर को रोका जा सकता है। इसके प्रमुख कारणों में रक्तस्राव, गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप संबंधी विकार, संक्रमण और असुरक्षित गर्भपात शामिल हैं। मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारी भी भी गर्भवती महिलाओं के लिए जोखिम बढ़ा देती हैं।डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा कि हालांकि प्रगति हुई है, लेकिन दुनिया भर में कई महिलाओं के लिए गर्भावस्था अभी भी खतरनाक है। उन्होंने कहा, “समाधान मौजूद हैं, लेकिन वे उन लोगों तक नहीं पहुंच रहे हैं जिन्हें उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है।