(अवैस खान): श्रद्धा हत्याकांड की जांच CBI को ट्रांसफर कराने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने श्रद्धा हत्याकांड की जांच CBI को ट्रांसफर कराने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस मामले में जांच कर रही है और कोर्ट जांच की मॉनिटरिंग नही करेगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई। दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा बिना किसी रिर्सच के दिल्ली पुलिस के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया मामले की 80% जांच पूरी हो चुकी है,अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, एसीपी (साइबर सेल) और 200 पुलिस अधिकारियों की एक टीम जांच में शामिल हैं। वकील जोशिनी तुली ने मामले की जांच CBI को ट्रांसफर करने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल किया था।
श्रद्धा हत्याकांड की जांच CBI को ट्रांसफर करने वाली याचिका का दिल्ली पुलिस ने भी विरोध करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस ने कहा यह याचिका सिर्फ पब्लिसिटी के लिए दाखिल की गई है,मामले में 80 % तक जांच पूरी की जा चुकी है। दिल्ली पुलिस की टीम मामले में हिमाचल और बॉम्बे में जांच कर रही है। मामले की।सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट याचिकाकर्ता से पूछा कि किस वजह से आप CBI को मामले की जांच ट्रांसफर करवाने की मांग कर रहे। जब पीड़ित परिवार मामले की CBI जांच की मांग नहीं कर रहा है। आप हमको एक उचित वजह बताइये मामले की जांच CBI को क्यों ट्रांसफर किया जाये।
याचिकाकर्ता की तरफ से वकील ने छावला हत्याकांड का उदहारण देते हुए कहा कि छावला हत्याकांड मामले में अंत में क्या हुआ, सुप्रीम कोर्ट ने तीनों आरोपियों को रिहा कर दिया, श्रद्धा हत्याकांड मामले में पुलिस आरोपी का नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट कर रही है। 6 महीने पहले हत्या की गई थी। पुलिस मामले की जांच करने में सक्षम नहीं है, मामले की जांच के मीडिया वहां पर मौजूद रहती है। दिल्ली पुलिस के पास इतना तकनीकी संसाधन नहीं है कि वो सबूतों और गवाहों को तलाश सके। दिल्ली पुलिस के पास वैज्ञानिक और प्रशासनिक कर्मचारियों की कमी है साथ ही वैज्ञानिक उपकरणों की कमी के चलते सही तरीके से जांच नहीं कर पाएगी। मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई और कहा कि याचिका को भारी जुर्माने के साथ खरिज करेगा। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को वापस लेने की मांग की लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका को वापस लेने की इजाज़त देने से इनकार कर दिया।