Sleep Screening: लंबी दूरी तय करने वाले ट्रक ड्राइवरों को अक्सर नींद को लेकर शिकायत रहती है। ड्राइवर बताते हैं कि कभी-कभी तो उन्हें ज्यादा से ज्यादा दो-तीन घंटे की नींद ही मिलती है। नतीजा ये होता है कि ट्रक चलाते समय उन्हें नींद आती है, जिससे अक्सर हादसे होते हैं।
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ड्राइवरों का ये भी कहना है कि ट्रैफिक जाम और टोल बूथों पर लंबी कतारों के बावजूद उन पर जल्द से जल्द सामान पहुंचाने का दबाव रहता है। रात को ढाबों पर ट्रक खड़ा करने से भी बात नहीं बनती। तेल रिसाव और स्पेयर पार्ट्स चोरी के डर से वे सो नहीं पाते हैं। नींद की कमी से सड़क हादसों का जोखिम देखते हुए मध्य प्रदेश में इंदौर के एक संगठन ने ट्रक ड्राइवरों के लिए हर दो साल में ‘स्लीप स्क्रीनिंग’ की सिफारिश की है। ये संगठन डॉक्टरों का है।
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साउथ ईस्ट एशियन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के प्रेसिडेंट का सुझाव है कि इस पहल को रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसों को लागू करना चाहिए, क्योंकि स्लीप एपनिया की हालत न सिर्फ ड्राइवरों, बल्कि औरों को भी होती हैं। स्लीप एपनिया में सोते समय लोगों की सांस बीच-बीच में रुक जाती है। ट्रांसपोर्टरों के प्रमुख संगठन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने ट्रक ड्राइवरों के लिए ‘स्लीप स्क्रीनिंग’ के विचार का स्वागत किया है। एसोसिएशन की ये भी मांग है कि देश भर में हाई वेज पर हर 200 किलोमीटर पर ट्रक ड्राइवरों के आराम करने का बंदोबस्त होना चाहिए, ताकि वे नींद ले सकें।
