International Space Station: अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। शुभांशु शुक्ला, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं। राकेश शर्मा भारत के एक पूर्व अंतरिक्ष यात्री हैं जो पंजाब के पटियाला से हैं उन्होंने 3 अप्रैल 1984 को सोवियत संघ के सल्यूट 7 अंतरिक्ष स्टेशन पर उड़ान भरी थी और वे अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे। अब एस्ट्रोनॉट्स के अंतरिक्ष में जाने को लेकर लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं, उन्हीं में से एक है कि अगर अंतरिक्ष में उनकी अचानक से तबीयत बिगड़ जाए तो क्या होगा?
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वैसे तो जब भी कोई एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में जाता है तो उसकी पूरी सुरक्षा और सारे इंतजाम किए जाते हैं फिर भी लोगों के मन में अक्सर ये सवाल रहता है कि क्या हो अगर अंतरिक्ष में किसी एस्ट्रोनॉट की तबीयत अचानक ही बिगड़ जाए। आखिर वहां मेडिसिन कैसे मिलेंगी? उसका इलाज कैसे होता है? क्या उसे वहीं पर दवा दी जाती है या फिर उसे वापस धरती पर भेजा जाता है? अगर आप भी इस बारे में जानना चाहते हैं तो चलिए आपके इसी सवाल के बारे में जानते हैं विस्तार से…
अंतरिक्ष में बीमार होने की चुनौती
अंतरिक्ष में किसी एस्ट्रोनॉट की अचानक तबीयत का बिगड़ जाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। अंतरिक्ष के वातावरण में कई ऐसे कारक होते हैं जो यात्रियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। वैसे तो अंतरिक्ष में जाना ही एक बड़ी चुनौती है। अक्सर आपने सुना या देखा होगा कि जब भी कोई एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष से वापस आता है तो उसकी हड्डियां और मांसपेशियां भी कमजोर हो जाती हैं। इसके अलावा वहां से वापस आने पर गंभीर बीमारी का खतरा भी रहता है। सबसे मुख्य वजह में से एक है शून्य गुरुत्वाकर्षण, जो शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रभाव डालता है। इसके अलावा, अंतरिक्ष में विकिरण का खतरा भी होता है।
ISS में मेडिकल किट और डॉक्टर
जब भी एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरते हैं तो उनके साथ एक मेडिकल किट उपलब्ध होता है, जिसमें सभी प्रकार की दवाएं और उपकरण होते हैं। जैसे- उल्टी, बुखार, दर्द, सेडेटिव्स, बीपी और शुगर चेक करने की मशीनें और ऑप्शनल दवाएं होती हैं। कोई जख्म होने पर उसे साफ करने के लिए एंटीबायोटिक्स भी मौजूद होती हैं। इसके अलावा ISS में एक डॉक्टर भी होता है, जो यात्रियों के स्वास्थ्य की निगरानी करता है। साथ ही एस्ट्रोनॉस्ट्स को भी ट्रेन करके ही भेजा जाता है जैसे कि सीपीआर ताकी वो अपने साथी की समय पड़ने पर मदद कर सकें। लेकिन इन सब के बीच गौर करने वाली बात ये है कि अंतरिक्ष में वहीं इंसान जा सकता है जो पूरी तरह से मेडिकली फिट हो फिर भी यदि कोई यात्री गंभीर रूप से बीमार पड़ जाए तो उसे पृथ्वी पर वापस लाने की योजना बनाई जाती है।
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वापसी की योजना
यदि कोई यात्री गंभीर रूप से बीमार पड़ जाए, तो उसे पृथ्वी पर वापस लाने के लिए एक विशेष योजना बनाई जाती है। इसमें अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की ओर मोड़ना और यात्री को सुरक्षित रूप से वापस लाना शामिल है। इसके लिए विशेषज्ञों की एक टीम काम करती है, जो यात्री के स्वास्थ्य की निगरानी करती है और वापसी की योजना बनाती है।