Stubble burn in Haryana/Punjab- सैटेलाइट डेटा से जानकारी मिली है कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले सामने आने लगे हैं। जलाना शुरू हो गया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि पिछले साल की तुलना में इस साल पराली जलाने के मामलों में 40 फीसदी की गिरावट देखने को मिलेगी।
जानकारों का ये भी मानना है् कि इस साल पंजाब और हरियाणा में आई हालिया बाढ़ के कारण पराली जलाने के मामलों में अक्टूबर के बजाय नवंबर में बढ़ोतरी हो सकती है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों से अपील की है कि उन्हें पराली नहीं जलानी चाहिए क्योंकि यह एक संसाधन है जिसका और बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है।
लेकिन किसान पराली जलाने का जिम्मेदार केवल खुद को मानने से परेशान दिखाई दिए विभिन्न उद्योग पराली को ईंधन के स्रोत के रूप में उपयोग करते हैं और अपने उद्योगों को संचालित करने के लिए किसानों से पराली ले सकते हैं। हालांकि किसानों ने सरकार पर उन्हें पराली न जलाने देने के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन न देने का आरोप लगाया।
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डॉ. रविंदर खेमवाल, पीजीआई, स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने कहा कि इंडिकेशन नहीं है कि इस साल ज्यादा बर्निंग होगी। इनडीड, हमारा मानना ये है कि जैसे सरकार के अफेयरएंड केंद्र सरकार है, कमीशन ऑन क्वालिटी एयर मैनेजमेंट है इसके अलावा वेरियस एनजीओ हैं, इंडस्ट्रीस है, ऑर्गेनाइजेशन है, जो इंस्टीट्यूशन है वो सब मिलकर इसके सोल्युशन की तरफ लगे हुए हैं इसलिए फसल अवशेष जलाने में कमी आएगी।
इस साल हमने देखा कि फ्लड की वजह से काफी एरिया में जो बुवाई थी वो बर्बाद हो गई थी इस वजह से हमने दुबारा से उसको रिप्लांट किया था तो ये हमारे जो फील्ड एरिया थे उसमें लगभग दो से तीन दिन की डिले हुई तो वो इस बार थोड़ा लेट लगे है तो वो लेट कटेंगे और अगर उसका हमने प्रोपर मैनेजमेंट नहीं किया तो हो सकता कि हमें थोड़ा लेट जो है थोड़ा क्राप कम बर्निंग देखने को मिल जाए।
बलबीर सिंह राजेवाल, किसान नेता: ने कहा कि समस्या ये है कि ‘किसान आसान टारगेट है। किसान का नाम लेकर कोई कुछ भी बोल दे उसको कोई कुछ कहेगा थोड़ी। किसान सुनकर चला जाएगा बेचारा तो हर आदमी जिम्मेदारी से भागने के लिए किसान का नाम लगाकर भाग जाता है। ग्राउंड रियल्टी ये है ये रिपोर्ट्स आ चुकी है कि पराली से जो आग लगती है तो सात प्रतिशत प्रदूषण होता है और जो इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन है, वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण है बाकी 93 प्रतिशत इसका है और इसको कोई नहीं कहता।