(अवैस उस्मानी): सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में संवैधानिक पीठ का समय नहीं बरबाद करना चहिये। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कानून के सवाल एकेडमीक हैं, कुछ लोगो के लिए यह व्यक्तिगत मामला है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील श्याम दिवां ने कहा कि यह कहना ही इस मामले में सुवनाई करना संवैधानिक पीठ का समय बरबाद करना है यह सही नहीं है, पिछली पीठ ने मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजा है।
वकील ML शर्मा ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुसार कुछ याचिका गलत हो सकती है लेकिन यह मुद्दा संवैधानिक है, कोर्ट को इसमें सुवनाई करनी चहिये। पी चिदंबरम ने कहा 1978 की नोट बंदी संसद के द्वारा पारित की गई थी, लेकिन इस बार नोट बंदी बैंकिंग सिस्टम के जरिये किया गया, नोट बंदी को लेकर संसद में बहस होनी चहिये इसको बाद इसको लागू करना चहिये, क्या इस तरह की नोट बंदी के अलग से कानून की ज़रूरत होती है, यह एकेडमिक मामला नहीं है कोर्ट को RBI ऐक्ट 1934 के सेक्शन 24,26 की शक्तियों की जांच करने ज़रूरत है वरना भविष्य में भी इस तरह की शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता हैं।
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पी चिदंबरम ने कहा कि संसद और कोर्ट को पता होना चहिये की इस कानून के तहत यह नोट बंदी की गई। क्या नोटबन्दी के लिए कानून की ज़रूरत नहीं है। वरना भविष्य में भी इस तरह की नोटबन्दी की जा सकती है। पी चिदंबरम ने कहा कि 86%नॉट वपास ली गई, कल को 99% वापस ली जा सकती है क्या कोर्ट के पास शक्ति नहीं है, यह इकनॉमी पॉलिसी से जुड़ा हुआ मामला, कोर्ट को हमको सुनना चहिये। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पी चिदंबरम और श्याम दीवान को एक घंटा सुनेगा और तय करेगा कि क्या यह मामला सुना जाना चहिये या नहीं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोर्ट मामले में सुनवाई करेगा तो हमको समय चहिये होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हम आपको समय देंगे, अभी इनको शुरू करने दें।