(अवैस उस्मानी): गैरकानूनी गतिविधियां कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना UAPA के तहत अपराध है। सुप्रीम कोर्ट ने UAPA के प्रावधान को बरकरार रखा, सुप्रीम कोर्ट ने UAPA के प्रवधानों पर अपना पहले का फैसला पलटा दिया। जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने फैसला सुनाया।
UAPA कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस MR शाह की पीठ ने आज अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि अगर कोई व्यक्ति किसी गैरकानूनी संगठन का मेंबर है, तो उसके खिलाफ UAPA के तहत मामला दर्ज हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना UAPA के तहत अपराध है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने UAPA के प्रावधानों को लेकर अपने पहले के फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले में कहा गया था कि सिर्फ गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना UAPA के तहत अपराध नहीं है, इसके लिए कोई कार्य करना जरूरी है।
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जस्टिस एम आर शाह की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने UAPA के सेक्शन10(a)(i) को बरकरार रखा। UAPA के सेक्शन10(a)(i) के मुताबिक ऐसे किसी सगंठन का महज सदस्यता ही UAPA के तहत मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने साल 2011 में दिए फैसले में कहा था कि किसी प्रतिबंधित संगठन के महज सदस्य होने से उसके खिलाफ UAPA का मुकदमा नहीं चल सकता। इसके लिए जांच में ये भी साबित होना चाहिए कि उस शख्स ने दूसरे लोगों को भी हिंसा के लिए भड़काया है।