Speaker at Parliament House: टोगो शिष्टमंडल की स्वागत करते हुए ओम बिरला ने कहा कि भारत और टोगो के बीच हमेशा से सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंध रहे हैं और भारत ने टोगो के सामाजिक आर्थिक विकास में अपना पूरा सहयोग दिया है। बिरला ने आश्वासन दिया कि भारत भविष्य में भी टोगो को अपना पूर्ण सहयोग देने को तैयार हैं। 1947 में भारत द्वारा संसदीय लोकतंत्र को अपनाए जाने और भारत के संविधान का प्रारूप तैयार किए जाने की प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए,ओम बिरला ने कहा कि यह एक लंबी प्रक्रिया थी क्योंकि हमारे संविधान निर्माताओं ने दुनिया के सभी प्रमुख संविधानों का बारीकी से अध्ययन किया और उनकी सर्वोत्तम विशेषताओं को भारतीय संविधान में शामिल किया।
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बिरला ने कहा कि संविधान सभा में सभी प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की गई और इस चर्चा के परिणामस्वरूप जो संविधान सामने आया, वह पिछले 75 वर्षों से भारत का मार्गदर्शन कर रहा है। बिरला ने भारतीय संसदीय लोकतंत्र की सुदृढ़ समिति प्रणाली के बारे में भी बात की, जो लघु संसद के रूप में कार्य करती है।ओम बिरला ने कहा कि समितियों के विचारों और इसकी रिपोर्ट को बहुत महत्व दिया जाता है और संसदीय लोकतंत्र के अध्ययन के लिए इनका शैक्षणिक महत्व भी है।
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टोगो में नए संविधान के निर्माण की प्रक्रिया की जिक्र करते हुए ओम बिरला ने आशा व्यक्त की कि टोगो में जो संवैधानिक परिवर्तन किए जा रहे हैं, उससे वहाँ की संसद की शक्तियां बढ़ेंगी। वर्तमान में टोगो में Presidential शासन व्यवस्था है जिसमें परिवर्तन कर अब वहाँ संसदीय लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था लागू की जा रही है जो एक सकारात्मक परिवर्तन होगा और इससे लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी। संसदीय प्रणाली पर जोर देते हुए बिरला ने उल्लेख किया कि लोकतंत्र में संसद ही नागरिकों की सार्वभौम आकांक्षाओं का प्रतिबिंब होती है।इसी सर्वोच्च मंच पर हम अपनी जनता की समस्याओं, उनकी चिंताओं पर चर्चा संवाद करते हैं और सबकी सहमति से उनका समाधान निकालते हैं। उन्होंने बताया कि भारत ने पिछले 75 वर्षों में संसदीय लोकतंत्र के आधार पर सामाजिक आर्थिक-परिवर्तन किए हैं। इसलिए हमारी संसदें लोक कल्याण का सर्वश्रेष्ठ माध्यम हैं।
