प्रदीप कुमार की रिपोर्ट – उपराष्ट्रपति चुनाव के नामांकन के आखिरी दिन आज विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने नामांकन दाखिल कर दिया। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी और और एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत कई प्रमुख विपक्षी नेता मौजूद रहे।
विपक्षी दलों ने 17 मार्च रविवार को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा को अपना साझा उम्मीदवार घोषित किया था। उनका मुकाबला NDA के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ से होगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन भरने के बाद मार्गेट अल्वा ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह मुश्किल चुनाव होगा, लेकिन मुझे किसी चुनौती से डर नहीं है। मैं सभी विपक्षी दलों के नेताओं को मेरी उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए धन्यवाद देती हूं।’’ अल्वा ने कहा कि, ‘‘मुझे पता है कि यह मुश्किल लड़ाई है, लेकिन राजनीति में जीत–हार कोई मुद्दा नहीं है, मुद्दा लड़ाई है।’’
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में धनखड़ का निर्वाचन लगभग तय माना जा रहा है क्योंकि लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचक मंडल में बीजेपी बहुमत में है। संसद सदस्यों की मौजूदा संख्या 780 में अकेले बीजेपी के 394 सदस्य हैं और यह संख्या 390 के बहुमत के आंकड़े से ज्यादा है। मौजूदा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है और नये उपराष्ट्रपति 11 अगस्त को पदभार ग्रहण करेंगे। 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान होगा और उसी दिन मतगणना होगी।
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कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्ग्रेट अल्वा पर बात करते हुए कहा है कि मार्गरेट अल्वा एक बेहतरीन उम्मीदवार हैं। साल 1974 से वो लगातार राजनीति में हैं। वो 5 बार सांसद, 4 राज्यों की राज्यपाल, केंद्र में मंत्री रह चुकी हैं और अल्पसंख्यक हैं, तो इससे अच्छा और क्या होगा। उन्होंने ये भी कहा कि 18 पार्टी मिलकर उनका समर्थन करेगी।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि आज 19 जुलाई की ही थी और चुनाव 6 अगस्त को होना निर्धारित है।
मार्गरेट अल्वा राजस्थान, गोवा, उत्तराखंड और गुजरात की राज्यपाल रह चुकी हैं। कर्नाटक के मेंगलुरु में 24 मई 1942 को जन्मी अल्वा का राजनीतिक सफर 1969 में शुरू हुआ था। वह 1975 से 1977 के बीच कांग्रेस की ज्वाइंट सेक्रेटरी रहीं। 1978 से 1980 तक कर्नाटक से कांग्रेस महासचिव रहीं। वह चार बार राज्यसभा और एक बार लोकसभा की सदस्य रह चुकी हैं। 1999 में वह लोकसभा पहुंची थीं।