उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने आज तिरुवनंतपुरम में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST) के 12वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने वरिष्ठ सांसद और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की टिप्पणियों की निंदा की, जिसमे उन्होंने कहा था कि “नए कानून पार्ट टाइमर द्वारा बनाए गए हैं”। उनके इस कथन को संसद का अक्षम्य अपमान बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने सवाल किया कि “क्या हम संसद में पार्ट टाइमर हैं?”
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एक अंग्रेजी समाचार पत्र में प्रकाशित वरिष्ठ कांग्रेस नेता की टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि “मेरे पास शब्द नहीं हैं कि मैं फैलाई जा रही इन भ्रांतियों की निंदा कर सकूं। संसद कानून निर्माण के संबंध में देश की सर्वोच्च संस्थान है और संसद सदस्य को पार्ट टाइमर कहा जा रहा है।
उपराष्ट्रपति ने चिदम्बरम से अपील करते हुए कहा कि वे “संसद सदस्यों के प्रति अपमानजनक टिप्पणियाँ” वापस लें, उपराष्ट्रपति ने चिदंबरम को अपनी अंतरात्मा के प्रति ईमानदार रहने के लिए कहा।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि “हमें सतर्क रहने की जरूरत है कि जब कोई जागरूक व्यक्ति आपको जानबूझकर भटकाता है।” उन्होंने कहा कि, ”यदि आप कुछ अलग बात कहते हैं जिस पर आपको विश्वास नहीं है तो हर कोई आप पर विश्वास करेगा क्योंकि आप ऊंचे पद पर हैं।”
आज केरल के तिरुवनंतपुरम में IIST के 12वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि, “आज जब मैंने समाचार पत्र पढ़ा तो देश के पूर्व वित्त मंत्री, वरिष्ठ सांसद और वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य के बयान ने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया क्योंकि मुझे इस बात पर बहुत गर्व था कि इस संसद ने एक महान कार्य किया है। “दंड विधान” से “न्याय विधान” का मार्ग प्रशस्त करने वाले कानूनों ने भारत को औपनिवेशिक विरासत से मुक्त कर एक युगांतरकारी परिवर्तन किया है।
इस बात पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब सदन में इन तीन कानूनों पर बहस हो रही थी, तब प्रत्येक संसद सदस्य को योगदान देने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि “संसद के एक प्रतिष्ठित सदस्य की वित्त मंत्री के रूप में वे (श्री चिदंबरम) एक महान विभूति हैं किन्तु बड़े क्षोभ से यह साझा कर रहा हूं, कि जब तीन कानूनों पर बहस चल रही थी तब वे मौन रहे।”
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तीन कानूनों पर बहस के दौरान संसद में अन्य कानूनी दिग्गजों की गैर-भागीदारी को अस्वीकार करते हुए,उपराष्ट्रपति ने कहा, “केवल वह ही नहीं, कानून के क्षेत्र से उनके प्रतिष्ठित सहयोगी, वरिष्ठ अधिवक्ता भी देश की मदद के लिए आगे नहीं आए यद्यपि उन्हें संसद में बात रखने का अवसर मिला। यह संवैधानिक कर्तव्य को निभाने में उनकी विफलता का प्रमाण है। हम ऐसे व्यक्ति पर कैसे भरोसा कर सकते हैं, जो केवल तंत्र को अस्थिर करने के लिए लोगों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए उच्च स्वर में बोले।”
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि वह स्तब्ध हैं और उन्होंने ऐसे सभी लोगों से सावधान रहने को कहा जो जानबूझकर हमारे देश को कलंकित करने और हमारी संस्थाओं पर लांछन लगाने तथा हमारी प्रगति को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग सिर्फ आलोचना में ही लगे रहते हैं।