अदम्य साहस और संघर्ष की गवाह बनी आज की तारीख, जब पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े

Why celebrate 16 december, अदम्य साहस और संघर्ष की गवाह बनी आज की ......

 ( प्रियांशी श्रीवास्तव ) : 16 दिसंबर की वो तारीख जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है। जब देश के वीरों ने अपने कठिन संघर्ष और बलिदान से दुश्मन देश पाकिस्तान को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था। भारत के वीरों के अदम्य साहस की गाथा को बखान करना इतना सहज नहीं कि उन्हे मात्र शब्दों में बयां किया जा सके। इसी दिन भारत ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटाई थी और विजय दिवस के रूप में जीत को मनाना शुरू हुआ।

इससे पहले बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विजय दिवस 2022 के अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया। वहीं, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और भारतीय नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने विजय दिवस 2022 के अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया।

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भारत और पाकिस्तान ने जंग में भारत विजय हासिल की थी । जिसके 16 दिसंबर 1971 को भारत में विजय दिवस मनाया जा रहा है। 16 दिसंबर का यह दिन इसलिए ऐतिहासिक है, क्योंकि इसी दिन भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी। 1971 के युद्ध में भारत ने जीत दर्ज की थी और पाकिस्तान के लगभग 93,000 जवानों को हथियार डालने पर मजबूर किया था। इसी कारण बांग्लादेश बना था। 1971 के युद्ध की शुरुआत 3 दिसंबर 1971 को हुई थी। तब बांग्लादेश, पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था। 3 दिसंबर को पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना के 11 स्टेशनों पर हवाई हमले कर दिए थे। भारत में भी मुंहतोड़ जवाब दिया और आखिर में पाकिस्तान को करारी हार सहनी पड़ी, जिसके जख्म आज भी हरे है।

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