सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली गई है जो कि महिलाओं से जुड़ी है। ये याचिका है महिलाओं के पीरियड्स लीव को लेकर एक याची ने डाली है। याची ने याचिका में कहा कि मुद्दा विचार जनक इस लिए है क्यों कि महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान भारी दर्द से गुजरती हैं। इस दौरान असहज भी महसूस करती है। इन्ही बातों का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका में लीव की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह पॉलिसी मैटर है इसलिए याचिकाकर्ता को सरकार के पास जाना होगा और अपनी मांग के साथ ज्ञापन देना होगा।
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जब को-पैसेंजर महिला पीरियड्स में दर्द से बैचैन थी…. भावुक हो गए थे हम…
बता दें कि महिलाओं के नाजुक दिनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने दाखिल की है। शैलेंद्र त्रिपाठी ने वुमन भास्कर को बताया, ‘मैंने बचपन में अपनी मां को इस दर्द से गुजरते देखा है। एक बार ट्रेन में सफर के दौरान एक को-पैसेंजर महिला पीरियड्स के दर्द से काफी बैचेन थी। वो बेचैन थीं, लेकिन कुछ कह नहीं पा रही थीं। मैंने उन्हें पेनकिलर दी। बाद में मैंने इस विषय पर पढ़ा और जाना कि पीरियड्स के दर्द की तुलना हार्ट अटैक जैसी होती है। तब मैंने इस मुद्दे पर याचिका दाखिल की।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विशाल तिवारी ने पिछले हफ्ते याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि यूनाईटेड किंगडम,चीन, वेल्स, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जाम्बिया जैसे देशों में पहले से ही किसी न किसी रूप में पीरियड्स लीव दिया जा रहा है।
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