आनन-फानन में बिना सोचे समझे लाया गया महिला आरक्षण कानून : कांग्रेस

( प्रदीप कुमार )- महिला आरक्षण कानून को लेकर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार को निशाने पर ले रही है और लगातार हमले भी जारी हैं। कांग्रेस का कहना है कि महिला आरक्षण कानून मोदी सरकार द्वारा आनन-फानन में बिना सोचे समझे लाया गया, देश की आधी आबादी खुद को ठगा महसूस कर रही है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि महिला आरक्षण देश की आधी आबादी की राजनीतिक भागीदारी और उनके सशक्तिकरण का सबसे जरूरी माध्यम है। कांग्रेस पार्टी महिला आरक्षण का पुरजोर समर्थन करती है। महिला आरक्षण कानून पास हो गया, लेकिन ये कानून लागू कब होगा, इसका किसी को नहीं पता। मोदी सरकार द्वारा महिला आरक्षण कानून आनन-फानन में बिना सोचे समझे लाया गया है। सरकार के मंत्रियों और सांसदों के अनुसार ये साल 2039 तक लागू होगा। जनगणना और परिसीमन से महिला आरक्षण को जोड़कर महिलाओं को लंबा इंतजार करने को कहा जा रहा है। ऐसे में देश की आधी आबादी अपने को ठगा महसूस कर रही है।

नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि अगर मोदी सरकार की इस कानून से महिलाओं को वाक़ई सशक्तिकरण और भागीदारी देने की मंशा है तो फिर किस बात की देरी की जा रही है। ओबीसी महिलाओं को लेकर सरकार एक शब्द भी नहीं बोल रही है। राज्यों में अपनी हार, इंडिया गठबंधन की ताकत और अडानी पर जांच न हो जाए, इसे देखकर मोदी सरकार ने इंडिया बनाम भारत का शिगूफा छोड़ा। जब इसके खिलाफ लोगों का आक्रोश दिखा तो बिना सोचे-समझे महिला आरक्षण बिल लाया गया। अब इसे लागू करने के लिए 10-12 साल का इंतजार करना पड़ेगा।

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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हर खाते में 15 लाख रुपए, सालाना दो करोड़ रोजगार, किसानों की दोगुनी आमदनी, 100 स्मार्ट सिटी, रुपए डॉलर का एक मूल्य, 40 रूपये लीटर बिकने वाला पेट्रोल, चीन को दिखाई जाने वाली लाल आंख, जैसी तमाम चीजों की तरह यह भी महज जुमला तो नहीं है?

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि जब महिला आरक्षण बिल पास हुआ तो भाजपा की तमाम महिला सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर उनका अभिवादन किया और तस्वीर खिंचवाई। ये भारत की सबसे सशक्त महिलाएं हैं। लेकिन इतनी सशक्त महिलाओं की महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध पर लगातार चुप्पी देखकर दुख होता है और तरस आता है। इनमें से किसी ने भी हाथरस से लेकर कठुआ, उत्तराखंड से लेकर मणिपुर में हुई दरिंदगी को लेकर एक शब्द नहीं कहा। अगर आप आधी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, तो सबसे पहले आपको आधी आबादी की सुरक्षा और उनके खिलाफ हो रहे अत्याचार पर बोलना पड़ेगा। उनके खिलाफ अपराध करने वालों को मिल रहे राजनीतिक संरक्षण के खिलाफ आवाज उठानी पड़ेगी।

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