कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने नए संसद भवन पर उठाए सवाल !

( प्रदीप कुमार )- कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने नए संसद भवन पर सवाल उठाए है।जयराम रमेश ने सत्ता में बदलाव के बाद नया संसद भवन बनाए जाने का संकेत दिया है।जयराम रमेश ने कहा कि 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद शायद नए संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा।

नई संसद भवन में कामकाज शुरू हो चुका है। विशेष सत्र के दौरान या महिला आरक्षण विधेयक भी पारित हुआ है पर अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने नए संसद भवन पर सवाल उठाए हैं। जयराम रमेश ने कहा कि यह इमारत सांसदों के बीच आपसी बातचीत और संवाद को खत्म करती है।

जयराम रमेश ने इसे नया संसद भवन कहने की बजाए मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहे जाने की वकालत की है। नए संसद भवन में दोनों सदनों की कार्यवाही बीते विशेष सत्र में 19 सितंबर से शुरू हुई। पुराने भवन को अब ‘संविधान सदन’ के नाम से जाना जाता है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में कहा कि नए संसद भवन का जितना भव्यता से उद्घाटन किया गया, उससे यह प्रधानमंत्री के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से दिखाता है। जयराम रमेश ने कहा कि चार दिनों में दोनों सदनों के अंदर और लॉबी में बातचीत एवं संवाद ख़त्म हो गई है। यदि वास्तुकला लोकतंत्र को ख़त्म कर सकती, तो संविधान को फिर से लिखे बिना ही प्रधानमंत्री इसमें सफल हो गए हैं। संसद भवन के हॉल के कॉपैक्ट नहीं होने की वजह से एक-दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की आवश्यकता महसूस हो रही है।

कांग्रेस पार्टी महासचिव ने कहा कि पुराने संसद भवन की कई विशेषताएं थीं। एक विशेषता यह भी थी कि वहां बातचीत और संवाद की अच्छी सुविधा थी। दोनों सदनों, सेंट्रल हॉल और गलियारों के बीच आना-जाना आसान था। दोनों सदनों के बीच आसानी से होने वाला समन्वय अब अत्यधिक कठिन हो गया है।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर आप पुरानी इमारत में खो जाते तो आपको अपना रास्ता फ़िर से मिल जाता था, क्योंकि वह गोलाकार है। नई इमारत में यदि आप रास्ता भूल जाते हैं, तो भूलभुलैया में खो जाएंगे। पुरानी इमारत के अंदर और परिसर में खुलेपन का एहसास होता है, जबकि नई इमारत में घुटन महसूस होती है।

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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि “अब संसद में भ्रमण का आनंद गायब हो गया है। मैं पुरानी बिल्डिंग में जाने के लिए उत्सुक रहता था। नया कॉम्प्लेक्स दर्दनाक और पीड़ा देने वाला है। मुझे यकीन है कि पार्टी लाइन्स से हटकर मेरे कई सहयोगी भी ऐसा ही महसूस करते होंगे।मैंने सचिवालय के कर्मचारियों से यह भी सुना है कि नए भवन के डिज़ाइन में उन्हें काम में मदद करने के लिए आवश्यक विभिन्न व्यावहारिकताओं पर विचार नहीं किया गया है। ऐसा तब होता है जब भवन का उपयोग करने वाले लोगों के साथ ठीक से परामर्श नहीं किया जाता है। जयराम रमेश ने कहा है कि 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद शायद नए संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि नई इमारत के बारे में ऐसा कहना 140 करोड़ भारतीयों का अपमान है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी के निम्नतम मानकों के हिसाब से भी यह एक दयनीय मानसिकता है। यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं के अपमान के अलावा और कुछ नहीं है।’ वैसे भी, यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस संसद विरोधी है। उन्होंने 1975 में कोशिश की और यह बुरी तरह विफल रही।

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