Gujarat: गुजरात (Gujarat) के सबसे प्रसिद्ध कपड़ा शिल्पों में से एक अजरख को हाल ही में ज्योग्राफिकल इंडिकेशन यानि जीआई टैग दिया गया है। अजरख आज देशभर में अपनी एक अलग पहचान रखता हैं। अजरख का उत्पादन मुख्य रूप से तीन जगह गुजरात में कच्छ, राजस्थान में बाड़मेर और पाकिस्तान में सिंध में होता है।
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खास बात ये है कि अजरख प्रिंट में इस्तेमाल किए जाने वाले रंग नेचुरल होते हैं। सब्जी, मिट्टी और चुने के पेस्ट से बनाया जाता है जिससे इसकी छपाई होती है और इसे बनाने में काफी समय और मेहनत लगती है। इस शिल्प से जुड़े कारोबारियों का मानना है कि जीआई टैग मिलने से अब नकली अजरख उत्पादों की बिक्री पर लगाम लगेगी और उन्हें अपने उत्पादों के लिए बेहतर कीमत मिलेगी। उन्होंने ये भी कहा कि जीआई टैग पाना काफी मुश्किल था, क्योंकि उन्हें ये नहीं पता था कि जीआई टैग कैसे मिलता है। वे बताते हैं कि उन्हें जीआई टैग हासिल करने में लगभग 10 साल लग गए। कच्छ में करीब 200 कारखाने हैं और अजरख कपड़ा शिल्प से जुड़े लगभग 1500 से 2000 कारीगर हैं।
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अजरखपुर हस्तशिल्प विकास संघ के अध्यक्ष इस्माइल खत्री ने कहा कि हमको खुद नहीं पता था कि ये पांच हजार साल पुरानी है और इसके प्रमाण जो मिले हैं मोहनजोदड़ो के समय से हैं, जहां राजा और राजकुमार अजरख पहने हुए दिखाई देते हैं। क्योंकि अभी पांच हजार साल पहले कैमरे नहीं थे ये मोबाइल नहीं थे।
अजरख कला शिल्पकार नसीर खत्री ने कहा कि जीआई टैग मिलने से ये होगा कि अजरख के नाम से जो डूप्लीकेट जो लोग मार्किटिंग करके अजरख के नाम से बेच रहे हैं तो उनके ऊपर एक लगाम लग सकती है। क्योंकि अगर हमको पता चले कि अजरख के नाम से डूप्लीकेट चीज बेच रहे हैं तो हम उसके ऊपर कानूनी विकल्पों का सहारा ले सकते हैं।