Mausam: कर्नाटक (Karnataka) के मांड्या में कोक्करे बेल्लूर बर्ड सेंक्चुरी को सारस की ब्रीडिंग के लिए सबसे बेहतर जगह के तौर पर पहचानी जाती है। हालांकि लगातार बढ़ते पारे की वजह से सेंक्चुरी की नदी सूख रही है और इसी वजह से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां आने वाले सारस अब खाने के लिए इंसानों पर ही निर्भर हैं। Mausam
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मद्दुर जिले में शिंशा नदी पूरी तरह सूख गई है, जिससे पक्षी दूसरी जगह पर चले गए हैं। बर्ड सेंक्चुरी की देखरेख करने वाले लोगों के मुताबिक पहले यहां करीब 800-900 पेलिकन समेत 2000-2500 पक्षी आते थे और घोंसला बनाते थे। बर्ड सेंक्चुरी में आकर घोंसला बनाने वालों में कलर्ड या पेटेंट स्टार्क, फेलिकॉन, पार्कपेंटर, नाइटरॉन, व्हाइटहैबिस, पोंडेरॉन, कॉर्मोरेंट सहित अलग-अलग तरह के सारस शामिल हैं।
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कोकरे बेल्लूर बर्ड सेंक्चुरी में श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देशों के सैलानी बड़ी तादाद में पहुंचते थे। इलाके के लोगों का कहना है कि सरकार ने बर्ड सेंक्चुरी से जुड़े मुद्दों की अनदेखी की है। मुश्किल हालात से जूझ रही बर्ड सेंक्चुरी सारस और चूजों को बचा रही है और उनका इलाज भी कर रही है। सेंक्चुरी का दावा है कि वो हर साल पक्षियों की 40-50 अलग-अलग किस्मों को बचा रही है। इलाके के लोगों का कहना है कि सरकार को तुरंत पक्षियों के लिए पानी, खाना और उनके रहने के लिए पेड़ों के दूसरे इंतजाम भी करने चाहिए।
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