बिहार सरकार ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा में बताया कि वो बेतिया राज की स्वामित्व वाली जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ ‘उचित एक्शन’ लेने के लिए दस्तावेजों की जांच करेगी। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल के अनुसार हाल ही में विधानसभा में पारित ‘बेतिया राज संपत्ति विधेयक, 2024’ का मकसद एस्टेट की विशाल भू-संपत्ति पर सरकार का कंट्रोल करना है। उन्होंने बताया कि एक बार अधिसूचित होने के बाद सरकार लगभग 15,358 एकड़ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करेगी, जिसका मूल्य 7,960 करोड़ रुपये है। मंत्री दिलीप जायसवाल का ये बयान पश्चिमी चंपारण के सिकटा विधानसभा क्षेत्र के विधायक बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता की ओर से पेश किए गए एक निजी प्रस्ताव के जवाब में आया है।
Read Also: IMD: तबाही मचा सकता है ‘फेंगल’, आज पुडुचेरी के पास देगा दस्तक
उन्होंने कहा कि विधानसभा ने ‘मंगलवार को बेतिया राज संपत्ति विधेयक पारित कर दिया है, जिससे बेतिया एस्टेट की विशाल भू-संपत्ति को अपने अधीन ले लिया जाएगा। अधिसूचना जारी होने के तुरंत बाद सरकार जमीन को अपने कब्जे में ले लेगी। इसके साथ मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार उन लोगों के राजस्व अभिलेखों की प्रामाणिकता को भी परखेगी, जो सालों से जमीन पर काबिज हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार बेतिया एस्टेट के एक बड़े हिस्से पर पश्चिमी चंपारण में 6,505 एकड़ के लगभग 66 फीसदी और पूर्वी चंपारण में 3,219 एकड़ के लगभग 60 फीसदी जमीन पर अतिक्रमण किया गया है । बिहार समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फैली ये ज़मीन अब औपचारिक रूप से सरकार की ओर से मैनेज और प्रोटेक्ट की जाएगी।
Read Also: ऑस्ट्रेलिया को लगा बड़ा झटका, एडिलेड टेस्ट से तेज गेंदबाज हेजलवुड हुआ बाहर
बेतिया राज के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह का 26 मार्च 1893 को निधन हो गया था और उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं था। राजा हरेंद्र किशोर सिंह की दो रानियां थीं, जिनका नाम महारानी शिव रत्ना कुंवर और महारानी जानकी कुंवर था। महारानी शिव रत्ना कुंवर की मृत्यु 1896 में हुई थी। चूंकि कथित तौर पर पाया गया कि महारानी जानकी कुंवर बेतिया स्टेट का मैनेजमेंट करने में सक्षम नहीं थीं, इसलिए इसका प्रबंधन ‘कोर्ट ऑफ़ वार्ड्स’ ने अपने हाथ में ले लिया था। महारानी जानकी कुंवर की मृत्यु 1954 में हो गई थी।