Teachers Day: जानें कौन हैं भारत के प्रमुख शिक्षक जिनसे हुआ नए युग का उदय ?   

Teachers Day

Teachers Day: गुरु का स्थान सबसे ऊंचा, गुरु बिना ना कोई दूजा, गुरु करें सबकी नाव पार, गुरु की महिमा सबसे अपार। इस तरह की कहावतें हम लोग अक्सर बचपन से ही सुनते हुए आ रहे हैं। ये सच भी है गुरु (Teachers) का दर्जा हमारे जीवन में सबसे पहला आता है। क्योंकि मां भी एक गुरु ही है जो हमें बोलने से लेकर दौड़ना सिखाती है। गुरु एक ऐसा पुल है, जो हमें तो हमारी मंजिल तक पहुंचा देता है, लेकिन खुद वहीं रहता है। ऐसे ही हम चाहे किसी भी मुकाम पर पहुंच जाए, इसमें सबसे बड़ा योगदान हमारे शिक्षक का ही होता है।

शिक्षक सिर्फ वही नहीं होता जो आपको स्कूल, कॉलेज में पढ़ाए, बल्कि हर वो इंसान जो आपको कुछ सिखाए वो भी एक शिक्षक ही होता है। वो आपका ऑफिस का सहकर्मी ही क्यों ना हो, जो आपको आपकी गलती को अच्छे से समझाकर भविष्य में दोबारा होने वाली गलती से बचाता है। आपके दोस्त जो आपके लो टाइम में पावर बूस्टर की तरह काम करते हैं, आपको मोटिवेट करते हैं वो भी गुरु ही होते हैं। टीचर्स (Teachers) को सम्मानित करने के लिए 5 सितंबर को टीचर्स डे (Teachers Day) मनाया जाता है।

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5 सितंबर को ही क्यों चुना गया? 

वैसे तो किसी को सम्मान देने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं होती । क्योंकि टीचर्स भी हमें सिखाने के लिए किसी विशेष दिन का इंतजार नहीं करते। ये खास दिन 5 सितंबर को इसलिए रखा गया क्योंकि इस दिन शिक्षक के आदर्श डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन है। 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु में हुआ था। यह एक प्रसिद्ध शिक्षक और विद्वान थे। इनके छात्रों ने इनके जन्मदिन को विशेष रूप से मनाने की इजाजत मांगी तो उन्होंने इसे शिक्षक दिवस (Teachers Day) के तौर पर मनाने के लिए कहा। यह स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति बने। आइए जानते हैं भारत के कुछ प्रसिद्ध शिक्षकों के बारे में-

भारत के कुछ प्रसिद्ध शिक्षक 

भारत में जो शिक्षा हम प्राप्त करते हैं, उसे हासिल करने के लिए हमारे देश के कई महान क्रांतिकारियों ने बेहद मेहनत की है। जिनकी वजह से हम एक अच्छे नागरिक बन पाएं। अपने जीवन के लक्ष्यों को पहचान सके।

सावित्रीबाई फुले- अक्सर आपने सुना होगा कि भारत देश में पहले महिलाओं को पढ़ने की आजादी नहीं थी। इस प्रथा को तोड़ने के लिए सावित्रीबाई फुले ने सबसे पहले अपना सिर उठाया। यह भारत की पहली महिला शिक्षक (Teacher) हैं जिन्होंने विपरीत हालातों के होते हुए महिलाओं को उनका अधिकार प्रदान किया है।

रवीन्द्रनाथ टैगोर– यह एक महान कथाकार और शिक्षक (Teacher) थे। इनकी शिक्षा प्रणाली केवल किताबों तक सीमित नहीं थी, ये स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बच्चों को तंदुरुस्त रखना चाहते थे। उनकी शिक्षा प्रणाली में खेलों के लिए अलग से समय दिया गया था। इनको शिक्षा के क्षेत्र और साहित्य में नोबेल पुरस्कार मिला था।

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स्वामी विवेकानंद- ये एक गुरुकुल प्रणाली में विश्वास रखते थे। उनका मानना था कि साथ में रहने से शिक्षक (Teacher) और छात्रों के बीच एक गहरा संबंध बनता है। स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी बदलाव किए। इनका मुख्य तौर पर जोर सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देना था, बल्कि एक छात्रों के द्वारा एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण करना भी था।
 
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम- ये हमारे देश के 11वें राष्ट्रपति तो थे ही साथ ही साथ एक अच्छे वैज्ञानिक भी थे। उनकी कही बातें आज भी छात्रों का मार्गदर्शन करती है। ये छात्रों को सिखाते थे कि कैसे खुश रहकर अपना लिए जीना है, अपनों सपनों के लिए जीना है।

मदनमोहन मालवीय – इन्होनें बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपना योगदान दिया है। उन्होंने ने ही BHU (Banaras Hindu University) को बनाकर तैयार किया था। यह आज भी भारत की बेहतर यूनिवर्सिटियों में से एक है।

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