World Students’ Day: विद्यार्थी केवल वो नहीं जो स्कूल, कॉलेजों में पढ़ रहे हो बल्कि प्रत्येक वो व्यक्ति जो कुछ नया सीख रहा है वो भी एक विद्यार्थी ही है। हर वो महान शख्सियत जो आज के समय में सफलता के आयाम छू रहा है वो भी सीख कर ही उस मुकाम पर पहुंचा है। विद्यार्थियों के जीवन में आने वाली चुनौतियों और समस्याओं से लोगों को अवगत कराने के लिए प्रत्येक साल मिसाइल मैन के जन्मदिन को यानि कि 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस (World Students’ Day) के रूप में मनाया जाता है।
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15 अक्टूबर को ही क्यों मनाया जाता है विश्व छात्र दिवस ?
अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ। यह एक ऐसा नाम है जिसे सुनते ही लोगों की आंखों में एक चमक आ जाती है। मिसाइल मैन के नाम से पहचान पाने वाले अब्दुल कलाम का मानना था कि देश का भविष्य आज का छात्र है। इनका युवाओं के साथ एक खास जुड़ाव था। इसलिए इनके जन्मदिन को विश्व छात्र दिवस (World Students’ Day) के तौर पर पहचान मिली। इन्होंने साल 2002 से 2007 तक देश के राष्ट्रपति के तौर पर भी देश की सेवा की।
क्या है इस दिन का महत्व ?
इस दिन को (World Students’ Day) मनाने के पीछे की खास वजह छात्रों के सामने आने वाली समस्याओं की तरफ ध्यान देना और उन समस्याओं का समाधान निकालना है। छात्रों के समक्ष भी बहुत सी अलग अलग समस्याएं आती है, जिसके कारण कई बार यह उनके सीखने में भी बाधा बनती है। साथ ही यह दिन उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनका मनोबल बढ़ाना भी इस दिन को मनाने का एक खास लक्ष्य है। यह दिन शिक्षा के स्तर पर भी निगरानी रखने की बात कहता है। जब छात्रों को अच्छी शिक्षा मिलेगी तभी उनका भविष्य सुधरेगा जब उनका भविष्य सुधरेगा तभी वो देश के विकास में अपना सहयोग कर पाएंगे।
मिसाइल मैन का देश के विकास में योगदान-
मिसाइल मैन के नेतृत्व में भारत देश ने कई सारी उपलब्धियां अपने नाम की। भारत देश की एक अलग पहचान बनाई। इनके काम और सहयोग के कारण इनकों कई सारे अवार्ड से सम्मानित किया गया।1981 में उन्हें पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इनके नेतृत्व में मिली भारत को पहचान-
पहला स्वदेशी SLV (SATELLITE LAUNCH VEHICLE )
ISRO परियोजना निदेशक के रूप में जब उन्हें नियुक्त किया गया तो इन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के लिए सफलता के नए रास्ते खोल दिए थे। पहले जहां कोई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास के बारे में बात भी नहीं करता था वहां कलाम ने SLV का निर्माण किया था।1980 में SLV III ने रोहिणी को पृथ्वी के करीब ऑर्बिट में इंजेक्ट किया गया था।
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शक्तिशाली मिसाइलों का निर्माण
इनके नेतृत्व में भारत ने एक और महान उपलब्धि हासिल की थी। जब देविला और वैलिएंट के निर्देशन की स्थिति का इन्होंने नेतृत्व किया। इसके पीछे का मुख्य मकसद था SLV की सफल तकनीक के आधार पर बैलिस्टिक मिसाइलों का उत्पादन करना। कई सारी शक्तिशाली मिसाइलों का निर्माण किया गया, जिनमें AGNI और PRITHVI जैसी मिसाइलें भी शामिल थी। इस वजह से अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन के नाम से नवाजा गया।
परमाणु शक्ति के रूप में भारत
भारत के लिए आज भी वे पल बेहद खास है जब भारत परमाणु शक्ति के रूप में दुनिया के सामने पेश हुआ। कलाम उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे। अपनी बुद्धिमता का प्रयोग कर ये जिस परीक्षण का नेतृत्व करते थे उससे सारी दुनिया हैरान हो जाती थी। जुलाई 1992 से जुलाई 1999 तक DRDO के CEO के रूप में उन्होंने पोखरण-2 विस्फोटों का निर्देशन किया।
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