सिविल सोसायटी के सदस्यों ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में एक मौन मार्च का आयोजन किया और 2035 तक वार्षिक जलवायु वित्त को कुल 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने के विकसित देशों के प्रस्ताव की निंदा की। उन्होंने विकासशील देशों से इसे अस्वीकार करने का आह्वान किया, जिसे उन्होंने “अपमानजनक” और “अन्यायपूर्ण” सौदा बताया।
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बता दें कि विरोध में अपनी भुजाएं क्रॉस करके, प्रदर्शनकारी शिखर स्थल से चुपचाप चले गए सिविल सोसायटी के लोगों ने कहा कि “हम आपसे ग्लोबल साउथ के लोगों के लिए खड़े होने की अपील करते हैं, और हम इस बात पर जोर देते हैं बाकू में कोई भी समझौता एक बुरे समझौते से बेहतर नहीं है, और विकसित देशों की हठधर्मिता की वजह से यह एक बहुत ही खराब समझौता है।” 1900 से ज्यादा सिविल सोसायटी संगठनों के वैश्विक गठबंधन क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क (सीएएन) ने जी77 और विकासशील देशों के सबसे बड़े समूह चीन को लिखे एक लेटर में ये बातें कहीं।
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लेटर में वार्ताकारों से कमजोर समझौतों को छोड़ने की अपील करते हुए कहा गया है। इसमें कहा गया है कि अगर इस सीओपी में पर्याप्त रूप से मजबूत कुछ भी सामने नहीं आता है, तो हम आपसे किसी और दिन लड़ने के लिए मेज से चले जाने का आग्रह करते हैं, और हम वही लड़ाई लड़ेंगे।
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