धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के व्यास गौड़िया मठ में स्थित एकमात्र तमाल का वृक्ष श्री राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण के मिलन का साक्षी है। बताया जाता है कि ये वही तमाल का वृक्ष है जिसको राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की अनुपस्थिति में कृष्ण समझकर इसका आलिंगन करती थीं। तमाल का वृक्ष वृन्दावन के अलावा देश में किसी और जगह पर नहीं मिलता है। वृन्दावन के अलावा केवल कुरुक्षेत्र ही ये एक वृक्ष स्थित है।
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आपको बता दें, महंत भक्ति भास्कर के अनुसार, सूर्यग्रहण के अवसर पर धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के राधा-कृष्ण मंदिर में राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण का पुनर्मिलन हुआ था। मंदिर परिसर में मौजूद तमाल का ये एकमात्र वृक्ष प्रभु श्रीकृष्ण की लीलाओं को संजोए हुए है। उनके कहने के अनुसार, इस वृक्ष की बनावट इस प्रकार की है जिसमें वृक्ष की हर टहनी दूसरी टहनी से लिपट जाती है और ये श्रीकृष्ण के साथ गोपियों और राधा के अटूट संबंध और अगाध प्रेम को दर्शाती है। आज भी लोग इस वृक्ष को देखकर भाव विभोर हो जाते हैं। व्यास गौड़िया मठ की विधि अनुसार ही इस मंदिर में आरती व पूजा-अर्चना होती है, जो दूसरे मंदिरों में की जाने वाली आरती पूजा से भिन्न होती है।
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मान्यता है, कि कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर के उत्तर तट पर स्थित तमाल का वृक्ष राधा-कृष्ण के मिलन का साक्षी है। ब्रह्मसरोवर में स्नान के उपरांत अधिकतर श्रद्धालु तमाल के इस वृक्ष के दर्शन और अवलोकन किया करते हैं। भागवत पुराण की कथा अनुसार द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलराम के साथ कंश वध के लिए गोकुल से विदा लेकर मथुरा जा रहे थे तो माता यशोदा, नंद बाबा, राधा रानी और गोपियों के साथ तमाम गोकुलवासी उनके विरह में बेहद दुखी हो रहे थे। इस अवसर पर प्रभु कृष्ण ने उन्हें फिर से भेंट करने का वचन दिया था और उसी वचन की पूरा करने के लिए श्रीकृष्ण ने सोमवती अमावस्या के दिन जब पूर्ण सूर्य ग्रहण था, तब कुरुक्षेत्र स्थित इसी तमाल वृक्ष के निकट ही माता यशोदा, नंद बाबा, बड़े भाई बलराम, राधा रानी और गोपियों समेत अनेकों गोकुलवासियों से मुलाकात की थी।
