Gujarat: गुजरात सरकार की ‘सहकार से समृद्धि’ योजना कई किसानों की जिंदगी में बदलाव ला रही है। डिजिटाइज्ड प्राइमरी एग्रिकल्चर क्रेडिट सोसाइटीज या ‘पीएसीएस’ पहल से किसानों की परेशानियां दूर हो रही हैं। कभी गांधीनगर में चिलोड़ा गांव के उमेद ठाकोर जैसे किसान खेती में खर्च होने वाले पैसों का बंदोबस्त करने के लिए मारे-मारे फिरते थे। लेकिन अब इस योजना से उनकी परेशानी दूर हो गई है।इस योजना से उमेद को खेती के लिए आसानी से बिना ब्याज कर्ज मिल गया। अब उन्हें सुकून भरी जिंदगी की उम्मीद है।
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इसी गांव के रमन भाई पटेल को भी फायदा मिला। वे इस योजना को छोटे किसानों के लिए गेम चेंजर बताते हैं। आसानी से मिलने वाले कर्ज की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है। यानी कर्ज पर भारी-भरकम ब्याज और आर्थिक अनिश्चितताओं से मुक्ति। चिलोड़ा आदर्श ‘पीएसीएस’ गांव है। यहां नवीनतम कम्प्यूटर, बायोमेट्रिक उपकरण और डिजिटल रिकॉर्ड की सुविधाएं हैं, जिनसे किसानों की बैंकिंग आसान हो जाती है। कामयाबी के ये किस्से ‘पीएसीएस’ को डिजिटाइज करने के लिए गुजरात सरकार की दूरदर्शी योजना, ‘सहकार से समृद्धि’ का नतीजा हैं। योजना की शुरुआत 2023-24 में हुई थी। इस पहल का मकसद किसानों को तेज रफ्तार, पारदर्शी और आसानी से कर्ज की सुविधा उपलब्ध कराना है।
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योजना का लक्ष्य पहले दौर में 10 हजार में से पांच हजार 754 ‘पीएसीएस’ को डिजिटाइज करना है। सरकार ने हर ‘पीएसीएस’ के लिए चार लाख रुपये आवंटित किए हैं। 2,900 समितियां जल्द ‘ई-पीएसीएस’ में बदल जाएंगी। उम्मीद है कि छह महीने सारी समितियां ‘ई-पीएसीएस’ में तब्दील हो जाएंगी। राज्य सरकार की ये पहल केंद्र की योजना का हिस्सा है। केंद्र ने दो हजार 516 करोड़ रुपयों की लागत से देश भर में 2027 तक 63,000 ‘पीएसीएस’ को डिजिटाइज करने की योजना बनाई है। ये आत्मनिर्भर भारत अभियान का मुख्य आधार है। गुजरात सरकार को उम्मीद है कि तेज रफ्तार क्रियान्वयन, ठगी पर लगाम और आसानी से कर्ज देने की प्रक्रिया से ग्रामीण समुदाय को सशक्त बनाया जा सकेगा।
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