ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद के विशेष सत्र की मांग कर रहा विपक्ष, केंद्र सरकार का क्या है रुख ?

केंद्र सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाने पर विचार ‘नहीं’ कर रही है। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है कि ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले जैसे मुद्दों पर विपक्ष की विशेष सत्र की मांग को सरकार ने खारिज कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर और हाल के आतंकी हमलों पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की कोई योजना नहीं है।

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केंद्र सरकार का कहना है कि इन मुद्दों पर आगामी मानसून सत्र में चर्चा की जा सकती है। जुलाई में प्रस्तावित मानसून सत्र को देखते हुए सरकार विशेष सत्र को औचित्यहीन मान रही है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए मॉनसून सत्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बयान दे सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक फिलहाल 25-26 जून को आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर भी कोई विशेष सत्र बुलाया जाना प्रस्तावित नहीं है।

विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इन मुद्दों पर तत्काल चर्चा की अपील की थी। आज हुई इंडिया ब्लॉक की बैठक में भी एक बार फिर से संसद के विशेष सत्र की मांग की गई है और इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी गई है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि विपक्षी खेमे में भी इस मांग पर एक राय नहीं है, जिसके चलते सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही।

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सरकार के सूत्रों का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए मॉनसून सत्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सदन में बयान दे सकते हैं। हालांकि, सरकार ने विशेष सत्र की मांग को अभी तक स्वीकार नहीं किया है। वहीं विपक्ष का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले जैसे गंभीर मुद्दों पर तत्काल चर्चा जरूरी है, ताकि देश की एकजुटता और विदेश नीति पर स्पष्टता दिखाई जा सके। दूसरी ओर, सरकार का मानना है कि मानसून सत्र में इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हो सकती है।

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