न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों में नोटिस दिए गए

Justice Yashwant Varma:
Justice Yashwant Varma: भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे न्यायाधीश यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव से संबंधित नोटिस सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा में दिए गए।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपे गए नोटिस पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद, अनुराग ठाकुर समेत कुल 145 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं।निचले सदन में अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत नोटिस दिए गए हैं। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की सुप्रिया सुले और बीजेपी के राजीव प्रताव रूड़ी समेत कई अन्य सदस्यों ने भी इस पर हस्ताक्षर किए हैं Justice Yashwant Varma

Read also- Ajith Kumar: जीटी4 यूरोपियन सीरीज रेस में सुपरस्टार अजित कुमार हुए दुर्घटना के शिकार

प्रसाद ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘न्यायपालिका की ईमानदारी, पारदर्शिता और स्वतंत्रता तभी सुनिश्चित होगी, जब न्यायाधीशों का आचरण अच्छा होगा। आरोप संगीन थे और ऐसे में महाभियोग के लिए नोटिस दिया गया है। हमने आग्रह किया है कि कार्यवाही जल्द शुरू होनी चाहिए।’’राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपे गए नोटिस पर 63 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने कहा कि कुल 63 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं और अब इस मामले की जांच होगी और दोषी पाए जाने पर संबंधित न्यायाधीश को हटाया जाएगा।उन्होंने कहा कि इस मामले पर विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक एकजुट हैं। किसी न्यायाधीश को हटाने के प्रस्ताव पर लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर होने चाहिए।

Read also- Chess World Cup: भारत अक्टूबर-नवंबर में शतरंज विश्व कप की मेजबानी करेगा

प्रस्ताव को सदन के अध्यक्ष/सभापति द्वारा स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकता है। यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो अध्यक्ष या सदन के सभापति न्यायाधीश जांच अधिनियम के अनुसार एक समिति का गठन करते हैं। इस साल मार्च में न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने की घटना हुई थी और घर के बाहरी हिस्से में एक स्टोररूम से जली हुई नकदी से भरी बोरियां बरामद हुई थीं। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा दिल्ली उच्च न्यायालय में पदस्थ थे..Justice Yashwant Varma

न्यायमूर्ति वर्मा को बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया। लेकिन उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के आदेश पर हुई आंतरिक जांच में उन्हें दोषी ठहराया गया है।न्यायमूर्ति वर्मा ने हालांकि किसी भी गलत कार्य में संलिप्त होने से इनकार किया है, लेकिन उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित आंतरिक जांच समिति ने निष्कर्ष निकाला है कि न्यायाधीश और उनके परिवार के सदस्यों का उस भंडारकक्ष पर गुप्त या सक्रिय नियंत्रण था, जहां नकदी पाई गई थी। इससे यह साबित होता है कि उनका कदाचार इतना गंभीर है कि उन्हें हटाया जाना चाहिए….Justice Yashwant Varma

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana Twitter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *