गौरव बंसल वादी पक्ष के वकील:जो असोला वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी है, वो वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी है वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के अन्तर्गत बनी हुई। यहां पर बहुत ही बड़े तादाद में लेपर्ड और जो वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन में शेड्यूल वन में जो स्पेसीज हैं, वो हैं। तो ऐसी स्थिति में जब वहां पे इतना जबरदस्त लेपर्ड का फुटफॉल है, तो इस स्थिति में ये जो वॉक विद वाइल्डलाफ का कंसेप्ट है, मेरे हिसाब से विदाउट एप्लिकेशन ऑफ माइंड लिया गया और इसी वजह से माननीय हाई कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी। जो हाई कोर्ट ने स्टे करा है वो इसी कारणवश करा है कि एक तो इन्होंने इस चीज को नहीं समझा कि यहां पे मैन एनिमल कॉन्फ्लिक्ट हो सकता है।
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दिल्ली के दक्षिणी रिज में असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य के अंदर ‘वॉक विद वाइल्डलाइफ’ कार्यक्रम को दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोक दिया है।आयोजन में नौ और 10 दिसंबर को अभयारण्य के भीतर वॉकथॉन, हाफ मैराथन, साइक्लोथॉन और जंगल ऑन व्हील्स कार्यक्रम शामिल थे। इस मामले को रिज के संरक्षण और अतिक्रमण हटाने से जुड़े मामले के लिए नियुक्त एमीसी क्यूरी ने पिछले सप्ताह अदालत के सामने रखा था। सरकारी वकील ने अदालत में कहा था कि आयोजन का फैसला मानदंडों के “उच्चतम स्तर पर” अनुपालन के अनुरूप लिया गया था।
कार्यक्रम का मकसद लोगों को अभयारण्य की वनस्पतियों और जीवों से परिचित कराना था।सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अभयारण्य के भीतर लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। यहां करीब नौ तेंदुओं के अलावा लकड़बग्घे और सियार जैसे दूसरे खतरनाक जानवर मौजूद हैं। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।
( Source PTI )