(अवैस उस्मानी): देश में आए दिन भड़काऊ बयानबाजी को लेकर सियासत शुरू रहती है। इसी कड़ी में भड़काऊ भाषण और हेट स्पीच पर लगातार विवाद बना रहता है। कानून व्यवस्था होने के बावजूद भी नेता भड़काऊ भाषण देते है। जिससे लगातार समाज में विवाद बना रहता है। नेताओं के ये हाव भाव और भाषण जनता के लिए प्रभावी होते है। न्यायिक व्यवस्था में समुचित ढंग से नेताओं का पेश होना ही न्यायिक समाज के लिए प्रेणादायक होता है। बता दें चुनाव के समय अक्सर पार्टियां एक दूसरे पर हावी होते दिखती है। भड़काऊं भाषण व हेट स्पीच के जरिए एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप लगाती रहती है। इसी बीच भड़काऊ भाषण के मामले में मौजूदा कानून को चुनाव आयोग ने नाकाफी बताया है । चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि हेट स्पीच को लेकर स्पष्ट कानून नहीं है और मौजूदा कानून समुचित नहीं है। चुनाव आयोग ने कहा कि आपराधिक कानून में हेट स्पीच को लेकर जरूरी संशोधन किए जाने चाहिए। Aaj ke taja samachar,
चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव के दौरान हेट स्पीच और अफवाहों को रोकने के लिए आयोग भारतीय दंड संहिता और जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत राजनीतिक दलों समेत अन्य लोगों को सौहार्द बिगाड़ने से रोकने को लेकर काम करता है। लेकिन हेट स्पीच और अफवाहों को रोकने के लिए निर्धारित कानून नहीं है। चुनाव आयोग ने कहा कि इस मामले में समुचित आदेश देना चाहिए। चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि क्योंकि विधि आयोग ने 267वीं रिपोर्ट में यह सुझाव दिया है की आपराधिक कानून में हेट स्पीच को लेकर जरूरी संशोधन किए जाने चाहिए।
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हेट स्पीच को लेकर भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दाखिल किया है। याचिका में नफरत फैलाने वाले भाषण और अफवाह फैलाने वाले बयान पोस्ट या कोशिश को अपराध बताने और इसके लिए सजा तय करने पर कानून बनाए जाने की गुहार लगाई गई है। याचिका में कहा कि चुनाव के दौरान हेट स्पीच और राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक मामलों को लेकर अफवाह फैलाने की घटनाएं ज्यादा बढ़ जाती हैं, लिहाजा आयोग को भी इस मामले में कड़े कदम उठाने चहिये।