अब्दुल्लाह आज़म को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, चुनाव आयोग ने आज ही स्वार सीट पर उपचुनाव की घोषणा की

(अवैस उस्मानी): विधानसभा से निलंबित विधायक अब्दुल्ला आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आज़म की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से फिलहाल इंकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्लाह आज़म से याचिका की काॅपी यूपी सरकार को देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यूपी सरकार से जवाब भी मांगा। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी। अब्दुल्लाह आज़म ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।

सुनवाई के दौरान अब्दुल्ला आजम खान के वकील विवेक तन्खा ने कहा कि धरने के समय की मेरी जन्मतिथि देख लीजिए उस समय मैं जुवेनाइल था और उस समय के आधार पर ही आज 2 साल की सजा नहीं दे सकते। अब्दुल्लाह आज़म के वकील ने कहा कि जब मैं जुवेनाइल था तो कैसे सजा दी गई। हम दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं, मै उस समय 15 साल का था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा जुवेनाइल का मुद्दा आपको निचली उठाना चाहिए था। अब्दुल्ला आजम के वकील ने कहा कि हमने यह मुद्दा उठाया था लेकिन लोवर कोर्ट ने खारिज कर दिया।हाईकोर्ट मामले को लंबा खींचता रहा और खारिज कर दिया।

अब्दुल्ला आजम के वकील ने कहा कि मेरे पिता धरना दे रहे थे और मैं कार मे बैठा था तो कैसे आरोपी बन गया कुल 9 लोग आरोपी थे, सात बरी हो गए और मैं और मेरे पिता आजम खान दोषी करार दिया गया। अब्दुल्लाह आज़म के वकील ने कहा कि जब मैं आज कोर्ट मे सुनवाई के लिए आया तब चुनाव घोषित कर दिया गया। 13 अप्रैल की तारीख को चुनाव घोषित कर दिया गया, आज ही चुनाव घोषित किया गया।

मुरादाबाद की MP/MLA कोर्ट ने इसी साल 13 फरवरी को 01 जनवरी 2008 में वाहन चेकिंग के दौरान सड़क जाम करने के मामले आरोपी आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्लाह आज़म को 2 साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद इसी साल 15 फरवरी को अब्दुल्लाह आज़म की विधानसभा सदस्‍यता रद्द करने का नोटिफिकेशन जारी हो गया था। बता दें रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक अब्दुल्ला आजम को तीन साल में दो बार अपनी विधायकी से दो बार हाथ धोना पड़ा है। तीन साल पहले भी उम्र के फर्जी प्रमाणपत्र मामले में हाईकोर्ट में अब्दुल्ला की विधायकी को रद्द कर दिया था।

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दरअसल, 31 दिसंबर 2007 की रात रामपुर के सीआरपी ग्रुप केंद्र पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले के बाद पुलिस आतंकियों की तलाश में वाहन चेकिंग कर रही थी। इसी क्रम में पुलिस ने 1 जनवरी 2008 को आजम खान की गाड़ी को भी चेकिंग के लिए रोका था। इस बात से नाराज़ होकर आजम खान ने अन्य सपा नेताओं के साथ सड़क जाम कर दी थी। आजम खान पर थाना छजलैट के आगे हरिद्वार मुरादाबाद स्टेट हाइवे पर जमा लगाने का आरोप था।

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