शुरुआत में नौकरियों को खतरा बनेगा एआई, बाद में पैदा करेगा ज्यादा मौके – उद्योगपति नादिर गोदरेज

AI Job Loss Fear: गोदरेज इंडस्ट्रीज के एमडी नादिर गोदरेज ने माना कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों की तुलना में ज्यादा प्रोडक्टिविटी की वजह से नौकरियां कम कर देगा, लेकिन उन्होंने कहा कि एआई की वजह से लंबे समय में ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी।सोमवार को दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में नादिर गोदरेज ने पीटीआई वीडियो से कहा कि ज्यादातर विकास देश के समृद्ध हिस्सों में हो रहा है। उन्होंने कहा कि देश को पिरामिड की तरह नीचे के हिस्से पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

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नादिर गोदरेज ने कहा कि लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का सबसे प्रभावी तरीका शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य और स्वच्छता तक पहुंचना है। उन्होंने कहा कि सरकार स्वच्छता में सुधार के लिए जरूरी कदम उठा रही है।नादिर गोदरेज ने डॉक्टरों की कमी पर जोर देते हुए डॉक्टरों की जगह एआई की ज्यादा भागीदारी का सुझाव दिया।2070 तक शुद्ध जीरो कार्बन एमिशन के भारत के लक्ष्य को लेकर नादिर गोदरेज ने कहा कि कोयले के बेहतर विकल्प के रूप में बांस का इस्तेमाल किया जा सकता है।

नादिर गोदरेज, एमडी, गोदरेज इंडस्ट्रीज: भारत ने 2070 तक जीरो कार्बन एमिशन हासिल करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। मुझे विश्वास है कि हम इसे उससे भी तेजी से कर सकते हैं। सरकार बहुत सारे अच्छे काम कर रही है। लेकिन मुझे ये भी लगता है कि हमें बेस लोड ऊर्जा के लिए कम कार्बन एमिशन तकनीकों पर ध्यान देने की जरूरत है। परमाणु और मॉड्यूलर परमाणु बहुत सुरक्षित और काफी किफायती हैं और दूसरा बायोमास है। भारत में बायोमास के लिए बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं। बांस बायोमास का एक अच्छा स्रोत है। इसमें कोयले के करीब ही ऊर्जा है और ये कम राख पैदा करता है। इसलिए ये कोयले का एक बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है। महाराष्ट्र सरकार बांस को बढ़ावा देने के लिए बहुत उत्सुक है और मुझे लगता है कि भारत सरकार को ऐसा भी ऐसा करना चाहिए। इससे हमें अपने जलवायु लक्ष्य को तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी।”

“भारत में व्यापार को आकर्षित करने की काफी संभावनाएं हैं। भारत ने हमेशा नॉलेज इंडस्ट्री और बेसिक मैन्युफैक्चरिंग में बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन भारत में आधुनिक बेसिक मैन्युफैक्चरिंग भी ज्यादा हो रही है और निश्चित रूप से, नॉलेज इंडस्ट्री भारत में फल-फूल रही है। फार्मास्यूटिकल्स, कैमिकल मैन्युफैक्चरिंग में बहुत अच्छा कर रहे हैं। निश्चित रूप से आईटी और अब एआई और भारत को अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म से बहुत आकर्षण मिल रहा है। इन सबका मतलब होगा भारत में ज्यादा निवेश और अधिक नौकरियां।”

“एआई में प्रोडक्टिविटी में सुधार करने की बहुत संभावनाएं हैं। जब ये कौशल में सुधार करता है तो इसके बड़े फायदे होते हैं, उदाहरण के लिए, ऊर्जा बेहतर हो जाती है इसलिए हमारा कार्बन फुटमार्क कम हो जाता है। लेकिन ये प्रोडक्टिविटी में भी सुधार कर सकता है, इसका मतलब हो सकता है कि थोड़े समय के लिए कम नौकरियां पैदा हों। लेकिन लंबे समय में, बहुत ज्यादा प्रोडक्टिविटी ज्यादा नौकरियां पैदा करती है क्योंकि हम ज्यादा कंजप्शन करते हैं।”

“भारत के समृद्ध हिस्सों में बहुत विकास हो रहा है। बेशक, मध्यम वर्ग बढ़ रहा है लेकिन ये अभी भी बहुत छोटा मध्यम वर्ग है। अगर ये तेजी से बढ़ता है तो भी हमारे पास पिरामिड के निचले हिस्से में बहुत से लोग होंगे और हमें उस पर ध्यान देने की जरूरत है। उन लोगों को लाने का सबसे अच्छा तरीका शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल और स्वच्छता प्रदान करना है। सरकार स्वच्छता पर बहुत कुछ कर रही है। इसे स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देने की भी जरूरत है। एआई स्वास्थ्य देखभाल में मदद कर सकता है क्योंकि एआई उन डॉक्टरों की जगह ले सकते हैं जिनकी हमारे पास बड़ी कमी है। हमारे पास जो कुछ डॉक्टर हैं उन्हें एआई की मदद से बेहतर तरीके से तैनात किया जा सकता है लेकिन हमें भारत में निचले स्तर पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।”

 

 

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