Chandrayaan-3– केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने चंद्रयान-थ्री और आदित्य एल वन मिशनों की सफलता का श्रेय सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए ‘अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने’ की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति को दिया। उन्होंने कहा कि अब अमेरिका और रूस भी इन परियोजनाओं पर भारत की तरफ से जानकारी साझा किए जाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-थ्री और आदित्य एल वन मिशन भारत के तेजी से बढ़ते विकास के प्रतीक हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय मिशन लगभग एक साथ शुरू हुआ। उनके मुताबिक चंद्रयान -थ्री का सबसे खास पहलू दक्षिणी ध्रुव (चंद्रमा के) पर इसकी लैंडिंग थी, जो एक अनछुआ क्षेत्र था। जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो वायुमंडल, खनिजों और थर्मल कंडीशन पर महत्वपूर्ण डेटा इकट्ठा कर रहा है और फाइंडिंग का विश्लेषण किया जा रहा है।
जम्मू कश्मीर के उधमपुर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद ने कहा कि भारत से काफी पहले मिशन की शुरूआत करने वाले अमेरिका और रूस जैसे देश भारत की तरफ से इन मिशनों से जुड़ी जानकारी को साझा करने का बेताबी से इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने 1969 में चंद्रमा पर मानव की पहली लैंडिंग की थी, लेकिन भारत के चंद्रयान- थ्री चंद्रमा पर पानी के अस्तित्व का सबूत यानी एचटूओ मॉलिक्यूल की जानकारी लेकर आया। जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये चंद्रमा पर जीवन की संभावना बताता है जो इसे जांचने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि उसमें ऐसा है कि हमारे दोनों मिशन लगभग एक ही साथ चले थे। चंद्रयान-तीन की एक ऐसी विशेषता, जो पहला ऐसा सदर्न पोल पर जाकर उतरा है, जो वर्जिन एरिया है। उससे हमें बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हो रही हैं वहां के एटमॉस्फियर के बारे में, वहां के मिनरल्स के बारे में, वहां के थर्मल सिचुएशंस के बारे में। वो अभी साझा नहीं की हैं, उसका हम अभी विश्लेषण कर रहे हैं, लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि पूरी दुनिया, अमेरिका और रूस जैसे देश जिन्होंने अपनी अंतरिक्ष यात्रा हमसे बहुत साल पहले प्रारंभ की थी, वो बहुत उत्सुकता से, बेसब्री से हमारा इंतजार कर रहे हैं कि हमारी जानकारियां शेयर करें क्योंकि भले ही अमेरिका ने मानव को सबसे पहले उतारा था चांद की धरती पर 1969 में, लेकिन ये हमारा चंद्रयान था, जो वहां से पानी के होने का प्रमाण लेकर के आया एचटूओ मॉलिक्यूल, जो कि वैज्ञानिक लोग समझते हैं कि पानी के अस्तित्व का अर्थ ये होता है कि कहीं न कहीं जीवन की संभावना हो सकती है, वो तो आगे जाकर विश्लेषण और शोध का विषय रहेगा।
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“आदित्य मिशन, उससे प्रारंभिक फिल्में आनी शुरू हो गई हैं, जनवरी के माह में वो अपनी पूरा कामकाज शुरु कर देगा। इसमें महत्वपूर्ण बात जो मीडिया के साथ साझा वो ये करनी है कि जब चंद्रयान लॉन्च हुआ तो 1000 मीडिया, हमारे मित्र, मौजूद थे, उसे देखने के लिए, श्री हरिकोटा में लॉन्चिंग साइट पर और जब आदित्य की लॉन्चिंग हुई तो 10,000 वहां पर श्रोता उसको देख रहे थे। ये इसलिए महत्वपूर्ण बात है कि मोदी जी के कारण हुआ।”
“आज हमारे पास तीन-चार साल के भीतर ही, 150 से अधिक देश में स्टार्टअप्स हैं, उनमें से जो पहले आरंभिक दिनों के थे, स्काईरूट्स इत्यादि, वो अब एंटरप्रेन्योर बन चुके हैं। एक नया सेक्टर, हमारे इतने नौजवान विदेशों में चले जाते थे क्योंकि स्पेस में एक्सपरटाइज हासिल करने के बाद, स्पेशियलाइज हासिल करने के बाद यहां पर उनके पास जीविका का कोई साधन नहीं था, तो मोदी जी ने, मीडिया ने जिसे कहा अनलॉकिंग ऑफ द स्पेस सेक्टर। हमारे पास सब कुछ था, हमारे पास प्रतिभा थी, हमारे पास योग्यता थी, हमारा मेहनत करने का माद्दा था, आंखों में सपने थे, दिल में अरमान थे, लेकिन हमारे पास वो साधन नहीं थे जो नीति निर्धारकों ने देने थे, तो मोदी जी ने वो अनइवलिंग मिलियो दिया।”
PTI