Amritsar News:जैसे ही पंजाब और हरियाणा में धान की फसल का मौसम शुरू होता है, पराली जलाने के मामले बढ़ जाते हैंं जिसकी वजह से दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण भी खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है।अमृतसर में किसानों का कहना है कि सरकार उन्हें जरूरी विकल्प नहीं उपलब्ध कराती है, जिसकी वजह से वे पराली जलाने को मजबूर हैं।करमबीर सिंह, किसान:ये हमारी मजबूरी है पराली जलाना हमारे पास इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं है। हमें अगली फसल की भी तैयारी करनी होती है और समय बहुत कम है। जो सुप्रीम कोर्ट ने जो ऐलान किया था किसानों की पराली के हल के लिए उसमें 25 सौ प्रति एकड़ दिया जाए और सरकार ने इसका कोई प्रबंध नहीं किया। जो छोटे किसान है उसके पास पराली जलाने के लिए अलावा और कोई चारा नहीं है।किसानों ने कहा कि न तो उन्हें कोई मुआवजा दिया जा रहा है और न ही पराली निस्तारण के लिए सस्ते उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
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संतोख सिंह, किसान:मीडिया में दिखाया जा रहा है कि किसानों को पैसा मिला लेकिन मैं उन किसानों के नाम पूछना चाहता हूं जिनके खाते में पैसा आया। वे प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर कभी जांच नहीं बैठाते, वे केवल किसानों को धमकी देते हैं कि वे उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। अधिकारियों के मुताबिक, जिन नई मशीनों का ऑर्डर दिया गया है, वे अभी तक वितरित नहीं की गई हैं क्योंकि अमृतसर में धान की खेती के कारण फसल का मौसम जल्दी शुरू हो जाता है।अमृतसर में लगभग तीन हजार प्लस मशीनरी पहले से ही उपलब्ध है पिछले सालों की सब्सिडी में, इस साल भी 800 के करीब मशीनें उसमें एड होनी थी। अमृतसर में फसल का मौसम जल्दी शुरू हो जाता है, इसलिए अभी खरीद मोड चल रहा है क्योंकि इसे सामान्य राज्य पोर्टल से ऑर्डर किया जाता है। ड्रा निकाला जा चुका है और खरीद प्रक्रिया चल रही है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, सेटेलाइट का उपयोग करके अब तक पराली जलाने के 656 मामलों का पता लगाया गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में दर्ज किए गए 414 मामलों से काफी ज्यादा है।
(Source PTI)
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