पाकिस्तान से फातिमा बन लौटी अंजू: बच्चे की कस्टडी और पति से तलाक का क्या होगा; जानिए हर सवाल का जवाब

6 महिने पहले अपने पति को छोड़ प्रेमी के लिए पाकिस्तान गई राजस्थान की अंजू वापस भारत आ गई हैं आपको बता दे कि अंजू ने इंटेलिजेंस ब्यूरो और पंजाब पुलिस को अपने भारत आने का मकसद बताया था । सुत्रो को अनुसार अंजु अपने पति से तालाक और अपने बच्चों को वापस लेने आई है बता दे कि अंजू ने अब तक इन सब को लेकर कोई टिप्पणी नहा की हैं । पाकिस्तान मे अंजू के प्रेमी ने कुछ समय पहले एक यूट्यूब चैनल से बात करते हुए कहा कि अंजू कुछ दिनों के लिए भारत जाएंगी । और कहा कि वहा से काम खत्म करके वापस पाकिस्तान आ जाएगी । प्रेमी नसरूल्लाह ने ये भी कहा कि अंजू का बच्चों को बिना मन नही लग रहा हैं ।

आपको बता दे कि अंजू को 2 बच्चे है । 15 साल की बेटी और 6 साल को बेटा हैं । ये दोनों बच्चे अंजू के पुराने पति अरविंद के पास रहते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कानूनी तौर पर अंजू को अपने बच्चे वापस मिल पाएंगे

आइए भारत में बच्चों की कस्टडी को लेकर बने कानून के बारे में विस्तार से जानते हैं…
अंजू उर्फ फातमा पति से तलाक ले सकती हैं?

भारत में तलाक लेने का अधिकार सभी विवाहितों को मिला हुआ है. हालांकि, अंजू केस की गुत्थी काफी उलझी हुई है. अंजू ने बिना तलाक लिए दूसरी शादी कर ली है. ऐसे में पहले उसके खिलाफ दूसरी शादी का मामला चलेगा.

हिंदू मैरिज एक्ट 1956 के 13ए के मुताबिक पार्टनर्स से बिना तलाक लिए शादी करना जुर्म है. भारतीय दंड संहिता की धारा 494 में इसकी व्याख्या की गई है. इसके तहत यदि कोई पुरुष पत्नी को बिना तलाक दिए हुए दूसरी शादी करता है तो उसे कम से कम 7 साल की सजा हो सकती है.

 

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अंजू ने अपने पति से तलाक लिए बिना पाकिस्तान जाकर शादी कर ली है. तलाक से पहले उसका यह केस अगर खुलता है, तो उसे पुलिस गिरफ्तार कर सकती है.
वहीं 3 महीने पहले अंजू के खिलाफ उसके पति अरविंद ने राजस्थान में एक मुकदमा लिखवाया था. इसमें हत्या की धमकी देने का आरोप लगाया गया था. राजस्थान पुलिस इस मामले में भी अंजू पर शिकंजा कस सकती है.

इन सभी मामलों से निपटने के बाद ही अंजू के तलाक के मामले में सुनवाई होगी. हां, अगर उसके पति की ओर से सीधे सिर्फ तलाक का केस फाइल किया जाता है, तो कोर्ट में पहले उस पर सुनवाई हो सकती है.

अंजू अभी कहां रह सकती है?

पाकिस्तान से भारत आने के बाद अंजू ने कहा है कि वो अपने घर ग्वालियर जा रही है. इसके बाद आगे का कुछ सोचा जाएगा. ग्वालियर में अंजू का मायका है. हालांकि, उसके ग्वालियर में रहने पर भी सस्पेंस है. अंजू के पिता ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि वे मेरे लिए मर गई है. अंजू को लेकर गांववालों ने भी चेतावनी जारी की है. गांववालों का कहना है कि अंजू अगर हमारी सीमा में जबरदस्ती आती है, तो उसे मार दिया जाएगा. ऐसे में अंजू पुलिस की देखरेख में किसी सुरक्षित जगहों पर रह सकती है, जहां से कानूनी प्रक्रिया का पालन कर सके. अगर पुलिस किसी मामले में उसे हिरासत में लेती है, तो फिर वो पुलिस कस्टडी में रहेगी. इसके बाद कोर्ट में तय होगा कि अंजू कहां रह सकती है.

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क्या अंजू को अपने बच्चे मिल पाएंगे?

सवाल सबसे बड़ा यही है कि अंजू को क्या अपने बच्चे मिल पाएंगे, जिन्हें वो पाकिस्तान ले जा सकती है? हिंदू माइनोरिटी एंड गार्डियनशिप एक्ट, 1956 में माता-पिता केअलग होने पर बच्चों की कस्टडी को लेकर विस्तार से बताया गया है।कस्टडी में बच्चे की उम्र, लिंग, परवरिश और सुरक्षा को सबसे पहले देखा जाता है. आमतौर पर 9 साल से अधिक उम्र के बच्चों को कोर्ट उनकी मर्जी से कस्टडी में भेजता है. भारत में 5 तरह से बच्चों को कस्टडी में भेजा जाता है।

1. कस्टडी के सबसे पहले तरीके को फिजिकल कस्टडी कहा जाता है. इसमें प्रथम गार्जियन के पास बच्चा हमेशा के लिए रहता है. दूसरे पक्ष को सिर्फ वक्त-वक्त पर मिलने की अनुमति रहती है. बच्चे की पूरी परवरिश उसका प्रथम गार्जियन ही करता है. प्रथम गार्जियन का चयन कोर्ट करता है.

2. संयुक्त कस्टडी भी भारत में काफी प्रचलित है. इसमें माता-पिता रोटेशन ने आधार पर बच्चों को अपने पास रखते हैं. संयुक्त कस्टडी में कौन कितने दिन के लिए अपने पास बच्चे को रखेगा, यह भी कोर्ट में तय होता है.

3. लीगल कस्टडी भी बच्चों को अपने साथ में रखने का एक तरीका है. इसमें माता-पिता में से किसी एक को बच्चे के भविष्य के बारे में फैसला लेने का अधिकार होता है. जैसे- बच्चे कहां पढ़ेंगे, उसका खर्च कैसे निकलेगा आदि…

4. सोल्ड चाइल्ड कस्टडी का तरीका तब अपनाया जाता है, जब माता-पिता में से कोई एक बीमार हो या किसी एक से बच्चे को खतरा हो. बच्चे के खतरे का आकलन रिपोर्ट और पूर्व में किए कामों के आधार पर तय किया जाता है.

5. थर्ड पार्टी कस्टडी की भी व्यवस्था भारत में है. इस तरह के कस्टडी के दौरान बच्चों को माता-पिता से अलग किसी तीसरे व्यक्ति के पास रखा जाता है. यह कस्टडी आमतौर पर माता-पिता के बीमार होने या मृत्यु हो जाने के बाद दी जाती है.

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