जोधपुर: आर्म्स एक्ट मामले में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को बड़ी राहत मिली है। जोधपुर जिला और सत्र न्यायालय ने एक विस्तृत आदेश में राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि सलमान खान ने आर्म्स एक्ट को लेकर गलत हलफनामा पेश किया था।
इससे पहले सरकार की याचिका को निचली कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट में अभिनेता सलमान खान की बहन अलवीरा पहुंची थीं। उनके वकील भी मुंबई से जोधपुर पहुंचे थे।
आपको बता दें, बीते मंगलवार को इस मामले में बहस पूरी हो गई थी, जिस पर न्यायाधीश राघवेंद्र कच्छवाला ने 11 फरवरी के लिए आदेश को सुरक्षित रख लिया था।
दरअसल, निचली अदालत ने जून 2019 में खान को एक गलत हलफनामा दायर करने के आरोप में दोषमुक्त कर दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायालय में एक अपील दाखिल की थी।
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि उन्होंने एक गलत हलफनामा प्रस्तुत किया था, क्योंकि उनका लाइसेंस खोया नहीं था, बल्कि नवीकरण के लिए प्रस्तुत किया गया था।
Also Read सपना चौधरी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज
काला हिरण शिकार मामले में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ अपनी अपील की सुनवाई के लिए सलमान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जोधपुर सेशन कोर्ट में पेश हुए थे।
उनके वकील हस्तीमल सारस्वत ने कोर्ट को बताया कि 8 अगस्त 2003 को गलती से हलफनामा कोर्ट में पेश कर दिया गया, जिसके लिए अभिनेता को माफ कर दिया जाए।
सलमान खान के वकील एचएम सारस्वत ने कहा था कि हमने दलील की कि यह हलफनामा जानबूझकर पेश नहीं किया गया था क्योंकि खान एक व्यस्त अभिनेता हैं और उस समय उनके लाइसेंस के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं थी।
सलमान खान को 1998 में जोधपुर के पास कांकाणी गांव में दो काले रंग की हिरणों का शिकार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
उस समय उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था और कोर्ट ने उन्हें अपना आर्म्स लाइसेंस जमा करने को कहा था। सलमान ने 2003 में कोर्ट में हलफनामा देते हुए कहा था कि उनका लाइसेंस गुम हो गया है।
उन्होंने इस सिलसिले में मुंबई के बांद्रा पुलिस स्टेशन में एफआईआर भी दर्ज कराई थी। हालांकि, बाद में कोर्ट को पता चला कि सलमान का आर्म लाइसेंस खत्म नहीं हुआ है, बल्कि नवीनीकरण के लिए पेश किया गया है।
इसके बाद लोक अभियोजक भवानी सिंह भाटी ने मांग की थी कि अभिनेता के खिलाफ अदालत को गुमराह करने का मामला दायर किया जाना चाहिए।