नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले ही राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है।
दोनों पार्टियों के बीच जारी ये विवाद अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर ममता बनर्जी की सरकार पर उनके खिलाफ रोज नए-नए मामले दर्ज करने का आरोप लगाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही अगले आदेश तक भाजपा नेताओं के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगाई है।
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दरअसल, पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों राजनीति गरमा गई है। भाजपा जहां पश्चिम बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है तो वहीं राज्य की ममता सरकार किसी भी कीमत पर अपनी पकड़ ढीली नहीं करना चाहती।
यही कारण है कि दोनों पार्टियों के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। बीजेपी के बड़े नेताओं में अपने खिलाफ पश्चिम बंगाल में दर्ज मामलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद अर्जुन सिंह, पवन कुमार सिंह, कबीर शंकर बोस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है।
दरअसल, पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों राजनीति गरमा गई है। भाजपा जहां पश्चिम बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है तो वहीं राज्य की ममता सरकार किसी भी कीमत पर अपनी पकड़ ढीली नहीं करना चाहती।
यही कारण है कि दोनों पार्टियों के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। बीजेपी के बड़े नेताओं में अपने खिलाफ पश्चिम बंगाल में दर्ज मामलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद अर्जुन सिंह, पवन कुमार सिंह, कबीर शंकर बोस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है।
याचिपा में भाजपा नेताओं ने अपील की है कि उनके खिलाफ पश्चिम बंगाल में दर्ज आपराधिक मुकदमों को रद्द किया जाए।
याचिका में ये भी मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को आदेश दे कि उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में कोई कार्रवाई न की जाए।
इसके अलावा बीजेपी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से ये भी अपील की है कि अगर कोर्ट उन पर दर्ज आपराधिक मामलों को रद्द नहीं करती है तो इन मामलों को बंगाल से बाहर ट्रांसफर कर दे।