Microplastics News: भारत समेत दुनियाभर में प्लास्टिक का यूज तेजी से बढ़ता जा रहा है।प्लास्टिक का टिफिन से लेकर बोतल तक प्रतिदिन यूज होने वाली दिनचर्या की चीजों में प्लास्टिक जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। प्लास्टिक हमारी सेहत को धीरे-धीरे गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है. प्लास्टिक धीरे-धीरे टूटकर बहुत छोटे-छोटे कणों में बदल जाता है, जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता हैं।
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माइक्रोप्लास्टिक से हो सकती है ये परेशानी- आपको बता दें कि खाने-पीने के जरिए लाखों माइक्रोप्लास्टिक यानी प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े शरीर में पहुंच जाते हैं। ये प्लास्टिक के टुकड़े पानी में घुल जाते हैं और इन्हें आंखों से नहीं देख पाते है। जब लोग पानी पीते हैं, तो ये शरीर में अंदर घुस जाते हैं. इससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार माइक्रोप्लास्टिक के छोटे कण दिल और फेफड़ों की बीमारियां, फूड एलर्जी और हॉर्मोनल प्रॉब्लम्स की वजह बन सकते हैं।
इम्यूनिटी को पहुंचा सकता है नुकसान – इम्यूनिटी के लिए भी माइक्रोप्लास्टिक खतरनाक माना गया है। हालांकि एक नई रिसर्च में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आसान तरीका ढूंढ लिया है, जिसके जरिए लोग अपने नलों में आने वाले पानी से 90% तक माइक्रोप्लास्टिक के कण बाहर निकाल सकते हैं। बता दें कि प्लास्टिक का कचरा अब सिर्फ धरती या पानी में ही नहीं, बल्कि हमारे शरीर में भी घुसन आया है। हाल ही में हुए एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि गर्भवती महिलाओं के गर्भ में भी प्लास्टिक के सूक्ष्म कण, जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं, मौजूद हैं।
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माइक्रोप्लास्टिक से कैसे बचे – माइक्रोप्लास्टिक से बचने के लिए कोशिश करे की खाने पीने की चीजों में प्लास्टिक के बर्तनों और बोतलों का कम से कम इस्तेमाल करें। खाने पीने के लिए प्लास्टिक की जगह कांच या स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल करे।
बच्चे के विकास में बना सकता है रुकावट- हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार प्लेसेंटा शरीर का वह अंग होता है, जो मां से बच्चे तक पोषण और ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है, लेकिन प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण यानी माइक्रोप्लास्टिक गर्भवती महिला के शरीर में पहुंच जाते है जिससे बच्चे का विकास प्रभावित हो सकता है.