चीन पर श्वेत पत्र लाए सरकार, संसद में हो व्यापक चर्चा- कांग्रेस 

(प्रदीप कुमार )-कांग्रेस ने चीनी घुसपैठ को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए श्वेत पत्र लाने की मांग की है पूर्व केंद्र मंत्री और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने आगामी मानसून सत्र में इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा करने की मांग उठाई है।
कांग्रेस ने चीन का मुद्दा उठाते हुए एक बार फिर केंद्र सरकार को घेरा है कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने चीनी घुसपैठ को लेकर केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए हैं।कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने यह आरोप भी लगाया कि चीनी घुसपैठ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व बयान ने भारत की बातचीत की स्थिति को कमजोर करने में योगदान दिया है।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि आगामी मानसून सत्र में भारत-चीन सीमा पर परिस्थिति को लेकर एक व्यापक चर्चा हो। साथ ही सरकार द्वारा एक श्वेत पत्र जारी किया जाए कि पिछले तीन साल में एलएसी के ऊपर जो घटनाक्रम हुआ है, उसकी सच्चाई क्या है।
दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि आज से तीन साल पहले गलवान घाटी में भारत की एकता और अखंडता के लिए हमारे 20 जवान शहीद हुए थे। 19 जून 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गलवान की घटना के बाद सर्वदलीय बैठक में कहा था कि ‘न कोई हमारी सीमा में घुसा है, न ही कोई पोस्ट दूसरे के कब्जे में है’। यह बयान 17 जून 2020 को विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के विपरीत था। गलवान की वारदात इस कारण से हुई थी कि चीनी सैनिकों ने घुसपैठ कर भारत की सीमा में टेंट लगाने का प्रयास किया था। इसके बाद पांच सितंबर 2020 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मॉस्को में एससीओ मीटिंग के दौरान चीन के रक्षा मंत्री से ढाई घंटे तक बातचीत की। छह दिन बाद 11 सितंबर 2020 को मॉस्को में रशिया-इंडिया-चाइना ट्राइलेक्ट्रल में विदेश मंत्री ने चीन के विदेश मंत्री के साथ एलएसी की परिस्थिति पर बात की। तीन साल में चीन के साथ 18 बार सीमा को लेकर कमांडर और लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत हुई हैं। एक जून, 2023 को भी भारत-चीन के बीच बैठक हुई। जब कोई घुसपैठ हुई ही नहीं तो तीन साल से लगातार हो रही बातचीत की सच्चाई क्या है?

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कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि चीनी घुसपैठ को लेकर विपक्ष ही नहीं अरुणाचल प्रदेश से भाजपा सांसद तापिर गाओ ने चार सितंबर 2019 को कहा था कि चीन ने अन्जॉ जिले में चगलागम क्षेत्र में भारतीय सीमा के 60-70 किलोमीटर के अंदर पुल बनाया है। उन्होंने यह भी कहा था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के अंदर सड़क का भी निर्माण किया था।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि आज गलवान की घटना को तीन वर्ष हो गए, एलएसी पर तनाव आज भी बरकरार है। कांग्रेस पार्टी सरकार से सवाल पूछती है कि क्या ये सच है कि एलएसी पर 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स में से 26 पर भारतीय सेना गश्त नहीं कर पा रही है? क्‍या ये बात सही है कि सेनाओं के बीच जो बातचीत हो रही है, उसमें चीन ने यह मांग रखी है कि डेपसांग प्‍लेन्‍स में 20 से 25 किलोमीटर का बफर जोन, जो भारत की पर्सेप्‍शन है एलएसी की, उसके भीतर बनना चाहिए। क्या ये सच है कि बफर जोन हमारी सीमा के भीतर बने हैं? चीन द्वारा एलएसी पर अतिक्रमण को रोकने के लिए भारत सरकार ने क्या किया? देश की संसद और रक्षा मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति में एक बार भी चीन पर चर्चा क्यों नहीं हुई? एलएसी से जुड़े सवालों को संसद का सचिवालय स्वीकार क्यों नहीं करता है? क्या ऐसा तो नहीं है कि प्रधानमंत्री ने चीन को जो 19 जून, 2020 को क्‍लीन चिट दी थी, उसके कारण चीन के कब्जे में भारत की दो हजार स्‍क्‍वायर किलोमीटर से ज्‍यादा की जमीन को हम वापस नहीं ले पा रहे हैं।

 

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