Climate Change:हर साल होने वाली बारिश ने कुछ सालों से क्या रुख लिया है इस पर वैज्ञानिकों ने शोध किए हैं। इस शोध में इस बात की जानकारी निकलकर सामने आई है कि कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन की निरंतरता ने ट्रॉपिकल बारिश को बदल दिया है। मानसून में बारिश ज्यादातर उत्तर की ओर बढ़ रही है। वैसे तो ये दुनिया भर में हो रहा है, लेकिन भारत भी इससे सीधे प्रभावित है। पिछले कुछ सालों में देखें तो ज्यादातर बारिश उत्तर की ओर जाती है। जो बड़े संकटों को जन्म देता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन ने भूमध्य रेखा के आसपास की बारिश में बदलाव किया है। दुनिया भर में कई देशों की कृषि और अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ेगा।
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बता दें, तेजी से बढ़ते उत्सर्जन ने बारिश को उत्तर की ओर धकेल दिया है। यह प्रक्रिया बहुत कठिन है। स्थिति बहुत जटिल है या कह सकते हैं कि जटिल परिस्थितियों का एक समूह है। जो हर साल उत्तर की ओर बारिश बढ़ा रहा है। भूमध्य रेखा के आसपास का क्षेत्र दुनिया की लगभग एक तिहाई बारिश का कारण बनता है। भूमध्य रेखा के आसपास, उत्तर और दक्षिणी गोलार्धों से आने वाली हवाएं एक दूसरे को काटती हैं. यह स्थान अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) कहलाता है। हवाओं का क्रॉस-कनेक्ट होना इस क्षेत्र की खासियत है, जो बादल और बारिश को जन्म देता है।
आपस में एक दूसरे को काटने के बाद हवाएं ऊपर जाती हैं। ऊपर का तापमान कम है। इनसे समंदर से भारी मात्रा में नमी निकलती है। बादल ऊंचाई पर ठंडी नमी वाली हवाओं से बनते हैं। फिर इन्हीं बादलों से बारिश होती है। साल में कई ट्रॉपिकल वर्षावनों में 14 फीट तक बारिश होती है। भविष्यवाणी करने वाले शोधकर्ता Wei Liu ने कहा कि अगले दो दशकों तक बारिश उत्तर की ओर जाती रहेगी। फिर दक्षिणी महासागरों का गर्म होना इस तरह का मौसम वापस दक्षिण की ओर ले जाएगा। अगले एक हजार वर्षों तक वे वहीं रहेंगे।
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इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे मध्य अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और प्रशांत द्वीप समूह, जो भूमध्य रेखा के आसपास हैं। इन क्षेत्रों में विविध फसलें उगाई जाती हैं। जैसे कॉफी, कोको, पाम ऑयल, केला, गन्ना, चाय, आम और अनानास। इन क्षेत्रों में बारिश में होने वाले छोटे-छोटे बदलाव से अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हो सकता है। नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन में जलवायु मॉडल का उपयोग महासागर, समुद्री बर्फ, भूमि और वायुमंडल से संबंधित कई घटकों से किया गया है। ये सब एक दूसरे पर प्रभाव डालते हैं। इस समय बारिश 0.2 डिग्री उत्तर की ओर चली गई है, जो पिछले कुछ दशकों की तुलना में कम है।
