Commonwealth Games : महान ओलंपियन और लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स एकेडमी के सदस्य एडविन मोसेस ने कहा है कि भारत को ये साफ करना होगा कि वे कॉमनवेल्थ गेम्स या ओलंपिक जैसे बड़े आयोजनों की मेजबानी क्यों करना चाहता है। क्या उद्देश्य सिर्फ एक भव्य आयोजन करना है या देश में खेलों को असल में बढ़ावा देना? भारत ने 2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट यानी ईओआई दाखिल किया है और वो 2036 के ओलंपिक के लिए भी बोली लगाने की योजना बना रहा है। इसके साथ ही भारत 2031 एएफसी एशियन कप (पुरुष फुटबॉल) की मेजबानी के लिए सात दावेदारों में शामिल है।
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एडविन मोसेस ने कहा कि ये इस बात पर निर्भर करता है कि इन आयोजनों को लाने का विजन क्या है। क्या ये सिर्फ एक इवेंट कराने के लिए है या फिर वाकई खेलों को बढ़ाने के लिए? यही सबसे बड़ा सवाल होगा।आप कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे आयोजन कर सकते हैं, सरकारी तामझाम हो सकता है, लेकिन सामने की रो में वे लोग बैठते हैं जिनका खेलों से कोई लेना-देना नहीं होता। यही सबसे बड़ी समस्या है। एडविन मोसेस ने ये भी कहा कि उन्हें समझ नहीं आता कि एक अरब से ज्यादा आबादी वाला देश लगातार विश्व स्तरीय खिलाड़ी क्यों नहीं पैदा कर पाता।
उन्होंने आगे कहा कि ये बात भारत के लोगों को तय करनी होगी। मैं वहां के राजनीति या अंदरूनी समस्याओं की जानकारी नहीं रखता, लेकिन ये बात समझ से परे है कि इतनी बड़ी आबादी और संसाधनों के बावजूद भारत खेलों में दूसरे छोटे देशों से पीछे क्यों है.69 साल के एडविन मोसेस ने कोचिंग और खेल ढांचे में निवेश की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो भारत की तुलना में काफी कमजोर और छोटे हैं, फिर वे अच्छे खिलाड़ी तैयार कर लेते हैं, जबकि भारत के पास कहीं ज्यादा संसाधन हैं।
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एडविन मोसेस ने इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (आईओसी) की भावी अध्यक्ष क्रिस्टी कोवेंट्री से अपील की है कि वे ट्रैक और फील्ड एथलीटों को उचित मुआवजा दिलाने की दिशा में काम करें।उन्होंने कहा कि इन खिलाड़ियों को अब तक दूसरे खेलों के मुकाबले कम पैसा मिल रहा है, इसलिए इस असमानता को दूर करना जरूरी है।
एडविन मोसेस ने कहा कि मेरे लिए सबसे बड़ी चिंता एथलीटों का मुआवजा है। ओलंपिक में अब गोल्फ, टेनिस, बास्केटबॉल और सॉकर जैसे खेलों के पेशेवर खिलाड़ी आते हैं, जो पहले से अच्छी कमाई करते हैं। लेकिन क्लासिकल ओलंपिक खेलों जैसे ट्रैक एंड फील्ड, जिम्नास्टिक्स, और स्विमिंग के खिलाड़ी अब भी उचित राशि से वंचित हैं।उन्होंने कहा कि आईओसी को इस असमानता को दूर करना चाहिए, ताकि उन खिलाड़ियों के साथ न्याय हो सके जो अपने खर्च पर तैयारी करते हैं और कई बलिदान देकर ओलंपिक तक पहुंचते हैं। इस मसले का हल निकलना जरूरी है।