रोहतक(देवेंद्र शर्मा): हरियाणा के जिला गुड़गांव की सीमा को 3 महीने पहले पहली संतान लड़के के रूप में पैदा हुई तो पूरे घर में खुशियों की बहार आ गई लेकिन बच्चे के जन्म के थोड़ी देर बाद यह खुशियां घबराहट में तब बदल गई। जब मां बच्चे को दूध पिलाने लगी तो उसके होश उड़ गए देखा कि बच्चे के दोनों जबड़े आपस में चिपके हुए हैं और उसका मुंह नहीं खुल पा रहा है बस मुंह में इतना सुराग था कि बच्चे को बूंद बूंद दूध पिलाया जा सके।
प्रोफेसर डॉ वीरेंद्र सिंह ने बताया कि बच्चे का वजन जन्म के समय बहुत हल्का था इसलिए 3 महीने बाद बच्चे का सफल ऑपरेशन किया गया है। यह उनके 25 साल के कैरियर में और हरियाणा में ऐसा मामला था जो उनके लिए चैलेंज बन गया था। अब तक के लिटरेचर में ऐसे लगभग डेढ़ सौ के करीब ही कैसे पाए गए हैं। इस तरह के केस में एनएसथीसिया देना भी बहुत कठिन होता है। बहरहाल ऑपरेशन के बाद बच्चा दूध पीने लगा है जिसे बच्चे की मां ने राहत की सांस लेते हुए कहा है कि डॉक्टर उनके लिए भगवान का रूप है।
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पंडित बीडी शर्मा पीजीआइएमएस के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेंटल साइंसेस के सीनियर प्रोफेसर डॉ वीरेंद्र सिंह ने बताया कि उनके 25 साल के डॉक्टरी जीवन में उन्होंने ऐसा पहला केस देखा है और हरियाणा का भी यह पहला केस है मेडिकल लिटरेचर में अब तक इस तरह के केवल डेढ़ करीब केस पाए गए हैं । निश्चित तौर पर बच्चे का ऑपरेशन उनके लिए एक प्रकार का चैलेंज था, जिसका उन्होंने 2 दिन पहले सफल ऑपरेशन किया है।
पंडित बीडी शर्मा पीजीआईएमएस रोहतक के एनेस्थीसिया एंड क्रिटिकल विभाग में कार्यरत प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने बताया की मासूम के केस में ऑपरेशन से पहले एनेस्थीसिया देना भी एक चैनल था क्योंकि एनेस्थीसिया देते समय मरीज की सांस की नली को कंट्रोल करना होता है। यह तो मुंह के द्वारा होता है या फिर नाक के द्वारा , लेकिन बच्चे के दोनों जबड़े चिपके होने के कारण दोनों ही रास्तों से एनेस्थीसिया संभव नहीं हो पा रहा था लेकिन डॉक्टरों की पूरी टीम में बच्चे की पूरी जांच के बाद एनेस्थीसिया देने का काम किया जिसे सफल ऑपरेशन संभव हो पाया है।