(प्रदीप कुमार )- मणिपुर हिंसा को लेकर कांग्रेस पार्टी ने कहा कि पूर्वोत्तर में यदि कोई अस्थिरता होती है तो उसके दूरगामी परिणाम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के ऊपर भी पड़ते हैं। कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार को याद दिलाते हुए कहा कि ऐसे ही अंदेशे को देखते हुए वर्ष 2012 में दक्षिण भारत में पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ हिंसात्मक घटनाओं को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने संसद में बयान दिया था। उस समय सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ हिंसात्मक घटनाओं की कड़ी निंदा की गई थी और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाया गया था।
यह बातें कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आज दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता में कहीं। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन ने राज्यसभा की कार्यवाही के मुद्दों पर बातचीत की।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण और अटूट अंग है। पूर्वोत्तर में यदि कोई अस्थिरता होती है तो उसके दूरगामी परिणाम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के ऊपर भी पड़ते हैं। भारत के संविधान में भी पूर्वोत्तर का विशेष स्थान है और विशेष प्रबंध है। भारत के सरहदी पूर्वोत्तर राज्यों में अमन और शांति बिगड़ने का असर नकारात्मक एवं दूरगामी होता है। वर्ष 2004 से लेकर 2014 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 70 बार संसद के समक्ष बोले। अगस्त 2012 में दक्षिण भारत में पूर्वोत्तर भारत के लोगों को लेकर परिस्थितियां बिगड़ी थी। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पूर्वोत्तर की संवेदनशीलता का संज्ञान लेते हुए संसद में बयान दिया था। राज्यसभा में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान के बाद सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया था। प्रस्ताव में पूर्वोत्तर के लोगों के खिलाफ हुई हिंसात्मक घटनाओं की कड़ी निंदा की गई थी और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाया गया था। डॉ. मनमोहन सिंह जी को अंदेशा था कि पूर्वोत्तर में जब परिस्थितियां बिगड़ती हैं तो इसके परिणाम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ठीक नहीं होते हैं।
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तिवारी ने कहा कि मणिपुर में जिस तरह की परिस्थितियां बनी हैं, उससे देश में गुस्से का माहौल है। प्रधानमंत्री मोदी ने मानसून सत्र शुरु होने से पहले कहा था कि मणिपुर की घटना से भारतीयों का सिर शर्म से झुक गया है। पीएम मोदी को सदन के समक्ष ये कहने में क्या संकोच है? मणिपुर हिंसा को लेकर कई सवाल हैं, जिनका जवाब देना प्रधानमंत्री मोदी का कर्तव्य बनता है।
वहीं कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन ने कहा कि मणिपुर हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री चुप्पी साधे हुए हैं, सदन में बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। विपक्ष मांग कर रहा है कि प्रधानमंत्री सदन में अपनी बात रखें और मणिपुर हिंसा पर विस्तृत चर्चा हो। मणिपुर हिंसा को लेकर सरकार चाहती है कि थोड़े समय के लिए ही चर्चा हो, जबकि विपक्ष चाहता है कि नियम 267 के तहत विस्तृत चर्चा हो। कांग्रेस के कई नेता मणिपुर गए हैं, उन्होंने लोगों की तकलीफें सुनी हैं। कांग्रेस सांसद लोगों की तकलीफ सदन के सामने रखना चाहते हैं। लेकिन भाजपा सिर्फ दो-ढाई घंटे की चर्चा के लिए कह रही है। ऐसी क्या बात है कि सरकार मणिपुर हिंसा को लेकर विस्तृत चर्चा नहीं करवाना चाहती है।
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