रक्षा मंत्री ने किया देश के पहले ‘भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव’ का उद्घाटन

(प्रदीप कुमार)Defense Minister:भारतीय सेना ने प्राचीन ज्ञान को अनलॉक करने के इरादे से एक बड़ी परियोजना पर काम शुरू किया है।इसे प्रोजेक्ट उद्भव नाम दिया गया है।साथ ही आज रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली के मानेक शा सेंटर में पहले सैन्य विरासत महोत्सव का उद्घाटन किया है।रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज दिल्ली में भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव के पहले संस्करण का उद्घाटन किया है। दो दिवसीय महोत्सव का उद्देश्य बातचीत, कला, नृत्य के माध्यम से सदियों से विकसित भारत की समृद्ध सैन्य संस्कृति और विरासत का जश्न मनाना है।इसमे नाटक, कहानी सुनाना और प्रदर्शनिया शामिल है।यह मुख्य रूप से प्रख्यात विद्वानों, अभ्यासकर्ताओं और सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों द्वारा पैनल चर्चा के माध्यम से विभिन्न समझ और दृष्टिकोण को सामने लाएगा।कार्यक्रम के दौरान, रक्षा मंत्री ने देश के प्राचीन रणनीतिक कौशल की खोज और समकालीन सैन्य क्षेत्र में एकीकरण के माध्यम से स्वदेशी प्रवचन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना और यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के संयुक्त सहयोग से ‘प्रोजेक्ट उद्भव’ भी लॉन्च किया। इस मौके पर थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, एकीकृत रक्षा स्टाफ के अध्यक्ष, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू और नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख वाइस एडमिरल संजय जसजीत सिंह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे।इस मौके पर प्रेस से बात करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में देश की सुरक्षा में सशस्त्र बलों की बेजोड़ बहादुरी और अमूल्य भूमिका को प्रदर्शित करने वाला भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव देश के युवाओं को प्रेरित करेगा।रक्षामंत्री ने कहा कि इससे वे भारतीय सेना और उनके वीरतापूर्ण कार्यों के बारे में और अधिक जानने के लिए उत्साहित होंगे।दरअसल कई सदियों पुराने एक लंबे और गौरवशाली सैन्य इतिहास और रणनीतिक संस्कृति के बावजूद, लोग इसके विभिन्न पहलुओं से काफी हद तक अनजान हैं। यह महोत्सव 21वीं सदी में सशस्त्र बलों के विकास के लक्ष्यों का पालन करते हुए बातचीत के माध्यम से सैन्य इतिहास और विरासत के साथ सार्वजनिक जुड़ाव के क्षेत्र में एक मानदंड स्थापित करना चाहता है।इस महोत्सव का उद्देश्य भारतीय सैन्य संस्कृति, परंपराओं और इतिहास के अध्ययन को नया बल देना और ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल में ठोस मूल्य जोड़ना है। यह भारत और दुनिया से संबंधित सुरक्षा, रणनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों से संबंधित विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर चर्चा के लिए एक मंच भी प्रदान करता है।महोत्सव में सैन्य बैंड प्रदर्शन के माध्यम से सैन्य संस्कृति का प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें आर्मी सिम्फनी बैंड प्रस्तुति और ब्रास बैंड प्रदर्शन और एक सांस्कृतिक पर्व शाम शामिल है। देश के लंबे और शानदार सैन्य इतिहास में चुनिंदा मील के पत्थर और उपलब्धियों को उजागर करने और जश्न मनाने के लिए संस्कृति मंत्रालय के भारतीय विरासत संस्थान के सहयोग से एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जा रहा है।प्रोजेक्ट उद्भव के जरिये इस परियोजना की आवश्यकता को एक महत्वपूर्ण समझ द्वारा रेखांकित किया गया है । यह एक मजबूत, प्रगतिशील और भविष्य के लिए तैयार भारतीय सेना के लिए मंच तैयार करता है जो न केवल देश की ऐतिहासिक सैन्य दूरदर्शिता से मेल खाती है बल्कि समकालीन युद्ध और कूटनीति की मांगों और गतिशीलता से भी मेल खाती है।

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